महाभारत को पांचवां वेद कहा गया है। इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास के अनुसार जिस विषय का वर्णन इस ग्रंथ में नहीं है, उसका वर्णन कहीं भी नहीं है।
उज्जैन. महाभारत में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र भी छिपे हैं। इन सूत्रों को समझकर हम अपनी लाइफ आसान कर सकते हैं। महाभारत के एक प्रसंग में यक्ष ने युधिष्ठिर से कुछ प्रश्न पूछे थे, उनके उत्तर में भी जीवन प्रबंधन सूत्र हैं, जो इस प्रकार है…
यक्ष का सवाल
विदेश में जाने वाले का मित्र कौन है? घर में रहने वाले का मित्र कौन है? रोगी का मित्र कौन है? मृत्यु के करीब पहुंचे व्यक्ति का मित्र कौन है?
युधिष्ठिर का उत्तर
विदेश में जाने वाले के मित्र सहयात्री (साथ में जाने वाले लोग) होते हैं। घर में जीवन साथी मित्र होता है। रोगी का मित्र होता है वैद्य। मृत्यु के करीब पहुंचे व्यक्ति का मित्र है दान।
ये है लाइफ मैनेजमेंट सूत्र
1. विदेश जाने वाले व्यक्ति का मित्र सहयात्री ही होता है क्योंकि संकट आने पर वहीं हमारी मदद कर सकता है। यदि हमारे साथ मार्ग में कोई अनहोनी हो जाए तो हम पूरी तरह सहयात्री पर ही निर्भर होते हैं।
2. घर में जीवन साथी यानी पति-पत्नी ही सच्चे मित्र होते हैं। किसी भी परिस्थिति में वे एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। मुसीबत आने पर भी वे बच्चों को इस बात का आभास नहीं होने देते और अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं।
3. रोगी का मित्र होता है वैद्य यानी डॉक्टर। जब हम बीमार होते हैं तो डॉक्टर न सिर्फ हमारा उपचार करता है बल्कि हमारा हौंसला भी बढ़ाता है और मानसिक रूप से भी हमें रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।
4. मरणासन्न व्यक्ति का मित्र दान होता है। अंत समय में दान ही काम आता है क्योंकि उसी के आधार पर स्वर्ग-नर्क की प्राप्ति होती है। इसलिए कहते हैं जीवन में दान करते रहना चाहिए।
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