जिसकी कुंडली में होता है इन 5 में से कोई भी 1 योग, उसे भुगतने पड़ते हैं अशुभ परिणाम

हमारी कुंडली में ग्रहों की स्थिति के कारण कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं। शुभ योग के कारण हमें लाभ होता है, वहीं अशुभ योग के कारण हमें बुरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं। कुंडली में बनने वाले कुछ अशुभ योग हमारे जीवन में बड़ी परेशानियां खड़ी कर सकते हैं।

उज्जैन. हमारी कुंडली में ग्रहों की स्थिति के कारण कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं। शुभ योग के कारण हमें लाभ होता है, वहीं अशुभ योग के कारण हमें बुरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं। कुंडली में बनने वाले कुछ अशुभ योग हमारे जीवन में बड़ी परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही अशुभ योगों और उनके अशुभ फल से बचने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं…

1. षड्यंत्र योग
लग्न भाव का स्वामी (लग्नेश) अगर अष्टम भाव में बिना किसी शुभ ग्रह के हो तो कुंडली में षड्यंत्र योग का निर्माण होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी धन-संपत्ति नष्ट होने की आशंका रहती है। इस योग के चलते कोई विपरीत लिंग का व्यक्ति इन्हें भारी मुसीबत में डाल सकता है। 
उपाय- इस योग से बचने के लिए भगवान शिव की आराधना करें। 

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2. केमद्रुम योग
जब कुंडली में चंद्रमा किसी भाव में अकेला बैठा हो, उसके आगे यानि दूसरे और पीछे यानी की बारहवें स्थान पर कोई ग्रह न हो तो और न ही उस पर किसी ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो इसे केमद्रुम योग कहते हैं। यह योग व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बनता है। 
उपाय- इस योग के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।

3. चांडाल योग
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु के साथ राहु बैठा हो तो, दोनों की युति से कुंडली में चांडाल योग बनता है। चांडाल योग से व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके प्रभाव से ऋण में बढ़ोतरी होती है। 
उपाय- गुरुवार को पीली चीजों का दान करना इस योग का एक निवारण है।

4. ग्रहण योग
किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ राहु-केतु बैठे हों तो यह स्थिति कुंडली में ग्रहण योग बनाती है। इस योग के कारण जीवन में अस्थिरता आ जाती है। व्यक्ति नौकरी-व्यापार में अस्थिरता के कारण परेशान रहता है। 
उपाय- इस अशुभ योग के निवारण के लिए चंद्रमा की शांति के उपाय करने चाहिए।

5. अल्पायु योग
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा पापी या क्रूर ग्रहों के साथ त्रिक स्थान (छठे, आठवें, बारहवें भाव) पर बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में अल्पायु योग का निर्माण करती है। ऐसे व्यक्ति पर सदैव मृत्यु का संकट बना रहता है। 
उपाय- इस दोष से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

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