परंपरा: यज्ञ और हवन में आहुति देते समय स्वाहा क्यों बोला जाता है?

हिंदू धर्म में यज्ञ और हवन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। यज्ञ और हवन करते समय कई नियमों का पालन किया जाता है। यज्ञ और हवन में आहुति डालते समय स्वाहा जरूरी बोला जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि आहुति डालते समय स्वाहा न बोला जाए तो देवता उस आहुति को ग्रहण नहीं करते।

उज्जैन. हिंदू धर्म में यज्ञ और हवन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। यज्ञ और हवन करते समय कई नियमों का पालन किया जाता है। यज्ञ और हवन में आहुति डालते समय स्वाहा जरूरी बोला जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि आहुति डालते समय स्वाहा न बोला जाए तो देवता उस आहुति को ग्रहण नहीं करते। यज्ञ और हवन से जुड़ी इस परंपरा जुड़ी कई कथाएं धर्म ग्रथों में मिलती हैं, जो इस प्रकार है…

- धर्म ग्रंथों के अनुसार, अग्नि देव की पत्‍नी हैं स्‍वाहा। इसलिए हवन में हर मंत्र के बाद होता है इनका उच्‍चारण किया जाता है।
- स्वाहा का अर्थ है सही रीति से पहुंचाना। दूसरे शब्दों में कहें तो जरूरी पदार्थ को उसके प्रिय तक सुरक्षित पहुंचाना। श्रीमद्भागवत तथा शिव पुराण में स्वाहा से संबंधित वर्णन आए हैं।
- हवन या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा कहकर ही हवन सामग्री, अर्घ्य या भोग भगवान को अर्पित करते हैं। इससे देवता प्रसन्न होते हैं।
- दरअसल कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि हवन का ग्रहण देवता न कर लें। लेकिन, देवता ऐसा ग्रहण तभी कर सकते हैं जबकि अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अर्पण किया जाए।
- श्रीमद्भागवत तथा शिव पुराण में स्वाहा से संबंधित वर्णन आए हैं। इसके अलावा ऋग्वेद, यजुर्वेद आदि वैदिक ग्रंथों में अग्नि की महत्ता पर अनेक सूक्तों की रचनाएं हुई हैं।

Latest Videos

पौराणिक कथाएं
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। इनका विवाह अग्निदेव के साथ किया गया था। अग्निदेव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करते हैं तथा उनके माध्यम से यही हविष्य आह्वान किए गए देवता को प्राप्त होता है।
- स्वाहा की उत्पत्ति से एक अन्य रोचक कहानी भी जुड़ी हुई है। इसके अनुसार, स्वाहा प्रकृति की ही एक कला थी, जिसका विवाह अग्नि के साथ देवताओं के आग्रह पर संपन्न हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं स्वाहा को ये वरदान दिया था कि केवल उसी के माध्यम से देवता हविष्य को ग्रहण कर पाएंगे। यज्ञीय प्रयोजन तभी पूरा होता है जबकि आह्वान किए गए देवता को उनका पसंदीदा भोग पहुंचा दिया जाए।

हिंदू धर्म ग्रंथों की इन शिक्षाओं के बारे में भी पढ़ें

बनाना चाहते हैं अपने जीवन को सुखी और समृद्धशाली तो ध्यान रखें शास्त्रों में बताई गई ये 5 बातें

श्रीरामचरित मानस: अहंकार से विद्वान, नशे से शर्म और मंत्रियों की गलत सलाह से राजा नष्ट हो जाता है

लाइफ मैनेजमेंट: राजा के मन की बात, कंजूस का धन और पुरुषों के भाग्य के बारे में देवता भी नहीं जान पाते

सुहागिन महिलाएं क्यों लगाती हैं मांग में सिदूंर, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

गरुड़ पुराण: जानिए वो कौन-सी 7 चीजें हैं जिन्हें देखने पर हमें पुण्य और शुभ फल मिलते हैं

Share this article
click me!

Latest Videos

UPPSC Student Protest: प्रयागराज में क्या है छात्रों की प्रमुख मांग, चौथे भी डटे हुए हैं अभ्यर्थी
वोटिंग के बीच नरेश मीणा ने SDM को ही मार दिया थप्पड़, जानें वायरल वीडियो का पूरा सच
SDM थप्पड़कांड के बाद हर तरफ बवाल, ठप हो गया राजस्थान और नरेश मीणा को घसीटते हुए ले गई पुलिस
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल
Dehradun Car Accident: 13 दिन ली गई कार बनी 6 दोस्तों के लिए 'काल', सामने आया सबसे बड़ा सवाल