सार
हमारे धर्म ग्रंथों में अनेक ज्ञान की बातें बताई गई हैं, जिन्हें हम लाइफ मैनेजमेंट कहते हैं। इन बातों का ध्यान रखकर हम अनेक समस्याओं से बच सकते हैं या फिर गूढ़ रहस्यों को समझ सकते हैं।
उज्जैन. ऐसा ही एक श्लोक ये भी है जिसमें बताया गया है कि राजा के मन की बात, कंजूस का धन, दुर्जन व्यक्ति की इच्छा आादि बातों के बारे में तो स्वयं देवता भी नहीं जानते। जानिए इससे जुड़ा लाइफ मैनेजमेंट…
श्लोक
नृपस्य चित्तं, कृपणस्य वित्तम; मनोरथाः दुर्जनमानवानाम्।
त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम; देवो न जानाति कुतो मनुष्यः।।
अर्थ- राजा का चित्त, कंजूस का धन, दुर्जनों का मनोरथ, पुरुष का भाग्य और स्त्रियों का चरित्र देवता तक नहीं जान पाते तो मनुष्यों की तो बात ही क्या है।
राजा का चित्त
राजा के मन में कब क्या चल रहा है, ये बात कोई नहीं समझ पाता। राजा किसी बात पर खुश हो जाए तो मालामाल कर देता है और नाराज हो जाए तो मृत्युदंड भी दे सकता है। इसलिए कहा गया है कि राजा का चित्त के बारे में देवता तक नहीं जान पाते तो मनुष्यों की बात ही क्या है।
कंजूस का धन
कंजूस व्यक्ति अपने धन को इस प्रकार छिपाकर रखता है जैसे पक्षी अपने अंड को। उसे हर समय अपने धन का ही ध्यान रहता है, उसे ये भय भी सताता रहता है कि कोई आकर उससे धन छिन न लें। इसलिए वो अपने धन के बारे में किसी को नहीं बताता और न ही उपका उपभोग करता है।
दुर्जनों का मनोरथ
दुर्जन व्यक्ति अपने हित के लिए दूसरों को मुसीबत में डाल देते हैं। ऐसे लोग आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं और उनके मन में आपके प्रति षड़यंत्र चल रहा होता है। ऐसे व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वे कब क्या करेंगे, उसके बारे में कोई नहीं जानता।
पुरुष का भाग्य
कई लोग अपने जीवन में जी-तोड़ मेहनत करते हैं, इसके बाद भी संपन्न नहीं हो पाते, वहीं कुछ लोग बिना मेहनत के भी जीवन के सभी सुखों का भोग करते हैं। ये सब पुरुष के भाग्य में लिखा होता है। इसलिए कहा गया है कि पुरुषों के भाग्य के बारे में कोई नहीं जान सकता।
स्त्रियों का चरित्र
महिलाओं का मन चंचल होता है, वे जल्दी ही किसी की भी ओर आकर्षित हो जाती है। कई बार स्त्री कुछ ऐसे काम कर बैठती है, जिसके बारे में सोचना भी पुरुष के दुभर हो जाता है। ऐसे में उनके चरित्र के बारे में समझना मनुष्य तो क्या देवता के लिए संभव नहीं है, ऐसा कहा गया है।
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