Published : Jul 17, 2025, 09:35 AM ISTUpdated : Jul 17, 2025, 09:36 AM IST
Sawan Special Stories: भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वे बहुत भोले हैं। वे किसी भी भक्त को बिना सोचे-समझे वरदान दे देते हैं। उनके यही वरदान कईं बार देवताओं के लिए मुसीबत बन जाते हैं।
Interesting stories of Lord Shiva: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन इस बार 11 जुलाई से शुरू हो हो चुका है जो 9 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ उनकी कथाएं भी जरूर सुननी चाहिए। मान्यता है कि शिवजी की कथाएं सुनने से भी जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। आज हम आपको भगवान शिव के उन वरदानों की कहानी बता रहे हैं जो बाद में देवताओं और उनके स्वयं के लिए मुसीबत का कारण बन गए। आगे जानिए शिवजी के ऐसे ही 5 वरदानों की कथा…
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जब अपने ही भक्त से भागे भगवान
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव का एक परम भक्त था जिसका नाम वृकासुर था। उसने तपस्या करके महादेव को प्रसन्न कर लिया और वरदान मांगा कि ‘मैं जिसके भी सिर पर हाथ रखूं, वह भस्म हो जाए।’ भगवान शिव ने उसे ये वरदान दे दिया। वरदान पाकर पर शिवजी के ही सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। तब महादेव एक गुफा में छिप गए। उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर वृकासुर को नृत्य सिखाने का प्रलोभन दिया। नृत्य करते-करते जैसे ही वृकासुर ने स्वयं अपने सिर पर हाथ रखा, वह स्वयं भस्म हो गया।
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जयद्रथ को दिया पांडवों को हराने का वरदान
महाभारत के अनुसार, जयद्रथ सिंधु देश का राजा और दुर्योधन का जमाई था। एक बार पांडवों ने उसे अपमानित कर छोड़ दिया। बदला लेने के लिए जयद्रथ ने महादेव की घोर तपस्या की। महादेव जब प्रकट हुए तो उसने पांडवों को हराने का वरदान मांगा, तब शिवजी ने कहा कि अर्जुन के अलावा शेष पांडवों को तुम एक बार पराजित कर सकोगे। इसी वरदान का फायदा उठाकर जयद्रथ ने कुरुक्षेत्र में चल युद्ध के दौरान भीम, युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया था। इसी दौरान चक्रव्यूह में फंसकर अभिमन्यु की मृत्यु हो गई थी।
श्रीमद्भावत के अनुसार, भगवान शिव का एक परम भक्त था बाणासुर। महादेव ने उसकी और उसके नगर की रक्षा का वरदान दिया था। एक बार बाणासुर भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध को हर लाया। तब श्रीकृष्ण उससे युद्ध करने पहुंचे। अपने वरदान के चलते महादेव को भी युद्ध में उतरना पड़ा। श्रीकृष्ण और महादेव के बीच भयंकर युद्ध हुआ। बाद में देवताओं ने आकर इस युद्ध को शांत करवाया इस बाणासुर की कैद से अनिरुद्ध को छुड़वाया।
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लवणासुर को दिया अमोघ त्रिशूल
त्रेतायुग में लवणासुर नाम का एक पराक्रमी राक्षस था। उसने तपस्या करके महादेव को प्रसन्न कर लिया। शिवजी ने उसे अपना अमोघ त्रिशूल प्रदान, जिसका सामना दुनिया का कोई योद्धा नहीं कर सकता था। वरदान पाकर लवणासुर साधु-संतों पर अत्याचार करने लगा। तब भगवान श्रीराम के कहने पर उनके छोटे भाई शत्रुघ्न लवणासुर से युद्ध करने पहुंचें। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में लवणासुर का वध हो गया और शिवजी का त्रिशूल पुन: उनके ही पास लौट गया।
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रावण को दिया चंद्रहास खड़ग
राक्षसों का राजा रावण भी महादेव का परम भक्त था। उसने महादेव से अनेक वरदान प्राप्त किए थे, जिससे वह साधु-संतों और मनुष्यों पर अत्याचार करने लगे। महादेव ने उसे अपना चंद्रहास खड़ग भी दिया, जिसका सामना करना किसी के लिए भी संभव नहीं था। तब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लेकर रावण का वध किया और उसके अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलाई।