NDA की तरह महागठबंधन में भी CM फेस पर बवाल बढ़ा- उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की मांग

भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद लालू यादव (Lalu Yadav) की अनुपस्थिति में महागठबंधन की छोटी-छोटी पार्टियों की शर्तों के आगे आरजेडी (RJD) बुरी तरह परेशान है। 

पटना। मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर जिस पैटर्न पर एनडीए (NDA) में एक तरह का विवाद खड़ा होता दिख रहा है लगभग उसी पैटर्न पर महागठबंधन (Mahagathbandhan) में भी अनबन सामने आने लगी है। चर्चाओं की मानें तो भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद लालू यादव (Lalu Yadav) की अनुपस्थिति में महागठबंधन की छोटी-छोटी पार्टियों की शर्तों के आगे आरजेडी (RJD) बुरी तरह परेशान है। आरएलएसपी चीफ उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी चीफ मुकेश साहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) ने अबतक सीटों का बंटवारा न कर पाए मोर्चे में ऐसी शर्त रख दी जिससे आरजेडी की स्वाभाविक परेशानी को समझा जा सकता है। 

आरएलएसपी (RLSP) ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) की जगह उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को महागठबंधन का नेता यानी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की मांग की है जबकि मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम घोषित कराने की मांग है। आरएलएसपी के प्रवक्ता धीरज कुशवाहा ने कहा कि तेजस्वी, आरजेडी का मुख्यमंत्री चेहरा हो सकते हैं न कि महागठबंधन का। महागठबंधन ने अभी मुख्यमंत्री का चेहरा तय ही नहीं किया है। सबसे योग्य चेहरा उपेंद्र कुशवाहा का ही है। उन्होंने काफी त्याग भी किया है। उधर, वीआईपी (VIP) प्रवक्ता ने भी पार्टी सुप्रीमो मुकेश साहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की मांग की है। वीआईपी ने कुशवाहा को मुख्‍यमंत्री का चेहरा बनाने का भी सपोर्ट किया है। 

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मौन कांग्रेस के इशारे पर दबाव 
दरअसल, राज्य के दोनों गठबंधनों के अंदर छोटी पार्टियों की ओर से एक ही पैटर्न की राजनीति देखने को मिल रही है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर दो धड़े बन चुके हैं। एक तरफ आरजेडी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस। कांग्रेस (Congress) ने इस बार 80 से ज्यादा सीटों की मांग की है। पार्टी की नजर पिछली बार जेडीयू (JDU) को दी गई सीटों पर भी है। हालांकि आरजेडी, कांग्रेस की मांग पर राजी है। मगर पार्टी की शर्त है कि 80 सीट मिलने की स्थिति में कांग्रेस को अपने ही कोटे से आरएलएसपी और वीआईपी को भी सीटें देनी देगी। कांग्रेस को यह शर्त मंजूर नहीं। उधर, आरएलएसपी अकेले भी 40 से ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है। माना यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के इशारे पर ही आरएलएसपी दबाव बना रही है। 

दो अलग मोर्चे, पर एक ही पैटर्न की राजनीति  
अगर देखें तो नीतीश (Nitish Kumar) के नेतृत्व को लेकर एलजेपी (LJP) चीफ चिराग पासवान (Chirag Paswan) का भी यही रवैया है। चिराग ने बार-बार नीतीश के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं और इस बार मुख्यमंत्री का पद बीजेपी (BJP) को देने की मांग की है। चिराग 43 सीटों पर दावा कर रहे हैं। मजेदार यह है कि एनडीए ने पहले ही सर्वसम्मति से नीतीश को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया है। फिर भी बीजेपी के बड़े नेताओं ने चिराग-नीतीश विवाद में चुप्पी साध रखी है। नीतीश के सामने नेतृत्व की चुनौती खड़ा करने के लिए चिराग के विधानसभा चुनाव भी लड़ने की खबरें आने लगी हैं। तेजस्वी को भी पहले ही चेहरा घोषित किया गया है। मगर कांग्रेस चुप है- सवाल छोटी पार्टियां उठा रही हैं। 

बिहार राजनीति का ऊंट किस करवट?
सीटों का बंटवारा न हो पाने की वजह से बिहार कांग्रेस के सभी दिग्गज इस वक्त दिल्ली में ही हैं। वैसे दोनों गठबंधनों में मुख्यमंत्री के चेहरा को लेकर जेडीयू और आरजेडी पर दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि सहयोगी दलों की शर्तों के आगे एनडीए में न तो नीतीश झुकने को तैयार दिख रहे और महागठबंधन में आरजेडी भी ऐसी बातों पर राजी नहीं है। बताते चलें कि महागठबंधन में इस बार वामपंथी पार्टियां (Left Parties In Bihar Polls) भी शामिल हैं। देखना मजेदार होगा कि बिहार चुनाव का ऊंट किस करवट बैठता है।   

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