
नालंदा। खेती को भले ही घाटे का सौदा माना जाता हो लेकिन कई ऐसे लोगों का उदाहरण भी सामने आया है जिन्होंने कृषि को न सिर्फ आजीविका का साधन बनाया है बल्कि नौकरी से कहीं बेहतर लाइफ स्टाइल को जीते हुए लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसा ही एक ताजा उदाहरण सामने आया है बिहार के नालंदा जिले से। नालंदा के मेघी गांव के आलोक कुमार पहले 30 हजार रुपए प्रतिमाह की वेतन वाली नौकरी किया करते थे। लेकिन अब वो नौकरी छोड़ खेती कर रहे हैं। पहले किसी के अधीन रहकर ड्यूटी करने वाले आलोक आज कई लोगों को नौकरी दिए हुए हैं। आलोक और उनकी खेती की चर्चा दूर-दूर तक हो रही है।
दूर-दूर से खेती देखने आ रहे लोग
सबसे खास बात यह है कि आलोक अभी युवा है। 2016 में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद थोड़े दिन तक आलोक ने नौकरी की और उसके बाद अपने गांव तक आधुनिक तकनीक के जरिए खेती करना शुरू कर दिया। नालंदा के दीपनगर क्षेत्र के मेघी गांव में दूर-दूर से लोग आलोक की खेती देखने आ रहे हैं। आलोक जरबेरा की कई नस्लों की खेती करते हैं। इस खेती से वो घर बैठे लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। आलोक ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, पंजाब जैसे राज्यों को घुमने का मौका मिला। गुजरात में मैंने जरबेरा की खेती देखी। तभी से मन में इसकी खेती करने का विचार आया।
जरबेरा की खेती में खूब है मुनाफा
आलोक ने अपने गांव में एक हजार स्क्वायर फीट के क्षेत्र में नेट हाउस बनाया। फिर उसमें रेड, पिंक, ऑरेंज सहित सात किस्मों की जरबेरा के पौधे लगाए। आज इन जरबेरा से वो लाखों की कमाई कर रहे हैं। बता दें कि जरबेरा एक बहुवर्षीय कर्तित पुष्प वर्ग का पौधा है। वैज्ञानिक रूप से इसकी उत्पत्ति अफ्रीका में बताई जाती है। जरबेरा का उपयोग बागवानी में सजावट एवं गुलदस्ता बनाने के लिए किया जाता है। छोटी किस्म की प्रजातियों को गमलों में सुन्दरता के लिए भी उगाया जाता है। इसके फूल लगभग एक सप्ताह तक तरोताज़ा बने रहते हैं। यूं तो इसकी लगभग 70 प्रजातियाँ हैं लेकिन इसमें 7 की खेती के लिए भारतीय मौसम को उपयुक्त माना गया है।
सब्जी और पपीता भी उगाते हैं आलोक
आलोक इन सब चीजों को अपनी पढ़ाई के दौरान जान चुके थे। जिसके बाद उन्होंने अपने गांव में जरबेरा की खेती शुरू की। अभी आलोक 20-30 लोगों को रोज रोजगार देते है। उनके खेतों से फूल को व्यापारी खरीद कर ले जाते हैं। जरबेरा के अलावा आलोक सब्जी की भी खेती करते है। उन्होंने अपने खेतों में शिमला मिर्च, पपीता और सहजन की खेती की है। इन सब को मिलाकर वो प्रतिवर्ष के हिसाब के 10 से 15 लाख रुपए कमा रहे हैं। आलोक ने बताया कि यदि सही ढंग से खेती की जाए तो इसमें अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। उनकी खेती आज सचमुच में नजीर बन चुका है।
बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।