
पटना। बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav) में अजीब खेल ने सबको चौंका दिया है। यहां पंचायत चुनाव में पंच पद के प्रत्याशी की मौत हो जाने के बावजूद उसके नाम पर मतदान हो गया और वह विजयी भी घोषित हो गया। अब मामला सामने आने के बाद उपचुनाव की बात कही जा रही है। प्रशासन के सामने ये बड़ी चूक तब सामने आई, जब विजयी प्रत्याशी जीत का प्रमाण पत्र लेने नहीं पहुंचा। मामला जमुई (Jamui) जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत हड़खार पंचायत का है। मामले में प्रशासन कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
बीते 24 नवंबर को बिहार में पंचायत चुनाव के 8वें चरण के लिए मतदान हुआ था। इसमें 26 नवंबर को मतगणना हुई। हड़खार गांव के वार्ड नंबर 2 से सोहन मुर्मू (Sohan Murmu) ने भी पर्चा दाखिल किया था। बताया जाता है कि सोहन की वोटिंग से पहले 6 नवंबर को मृत्यु हो गई थी। लेकिन किसी ने इसे लेकर अधिकारियों को जानकारी नहीं दी। चुनाव के लिए बैलट पेपर पर सोहन का चुनाव चिह्न भी छपा और वोटिंग हुई। गांव के लोग ये जानते थे कि सोहन की मृत्यु हो गई है, फिर भी लोगों ने सहानुभूति में जमकर वोटिंग कर दी। नतीजा ये हुआ कि चुनाव में सोहन मौत के बावजूद सहानुभूति की लहर पर सवार होकर प्रतिद्वंदी को बड़े अंतर से शिकस्त देने में सफल रहे। इस चुनाव में सोहन मुर्मू को 148 वोट मिले, जबकि उसके विरोधी मूरा हेम्ब्रम को 126 वोट मिले।
अब पंच पद का उपचुनाव कराया जाएगा
इधर, बड़ी जीत के बाद भी जब सोहन अपना प्रमाण पत्र लेने नहीं पहुंचे तो प्रशासन ने जानकारी की। बाद में अधिकारियों ने इसकी जांच की। अब अधिकारियों ने भी सोहन के निर्वाचित होने की पुष्टि कर दी। हालांकि प्रशासन अब इस मामले में चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार कर रहा है। इस संबंध में खैरा ब्लॉक के बीडीओ राघवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जानकारी मिली है कि 6 नवंबर को ही सोहन की मौत हो गई थी। प्रत्याशी के मौत की सूचना किसी ने आधिकारिक तौर पर नहीं दी थी। इसी वजह से नाम नहीं हटाया गया। सामान्यत: ऐसी गलती नहीं होती है। अगर ऐसी गलती हुई है तो इसे सुधारा जाएगा और चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार उसका निर्वाचन रद्द किया जाएगा। अब यहां उपचुनाव कराया जाएगा। गौरतलब है कि ये गांव झारखंड के साथ लगती सीमा पर स्थित है।
गांव वाले बोले- हमने तो सूचना दे दी थी...
ग्रामीणों ने बताया कि पंच उम्मीदवार सोहन मुर्मू काफी समय से बीमार थे। लेकिन, उन्होंने वार्ड संख्या 2 से पंच के लिए नामांकन किया था। मतदान से पहले ही 6 नवंबर को उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इसकी सूचना अधिकारियों को दी गई थी। इसके बावजूद 24 नवंबर को हुए मतदान में बैलेट पेपर में उसका नाम और चुनाव चिह्न था। इसी वजह से लोगों ने सहानुभूति के कारण उसे वोट दे दिया।
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