
पटना। बिहार (Bihar) के खगड़िया (Khagaria) जिले में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2021 ) के लिए 100 से ज्यादा परिवार शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। यहां इनका करीब 1 महीने तक बसेरा होता है। ये घुमंतू परिवार साल में एक बार खगड़िया पहुंचते हैं। जहां ये खुले आसमान के नीचे तंबू लगाकर पूजा की तैयारी करते हैं। साथ ही यहां इनके परिवार के लड़कों और लड़कियों की शादी भी होती है। ये सभी परिवार हैदराबाद, बेंगलुरु, राजस्थान समेत अलग-अलग राज्यों से आते हैं। पहले छठ पूजा, फिर शादियां होने के बाद करीब एक महीने तक प्रवास पर रहते हैं और इसके बाद ये अपने अपने राज्यों में लौट जाते हैं।
बिहार के दलसिंहसराय से 60 साल के विष्णु धानी भी यहां पहुंचे हैं। वे बताते हैं कि वे लोग बचपन से खगड़िया पहुंचकर छठ पर्व मनाते आ रहे हैं। धानी कहते हैं कि इन परिवारों में सिर्फ बिहार से ही नहीं बल्कि अलग-अलग राज्यों के लोग शामिल हैं। जिनके द्वारा खरना के प्रसाद को तैयार करने में विशेष सजावट की जाती है। ये लोग अपने-अपने तंबुओं के बाहर इसके लिए रंगोली भी बनाते हैं। जहां खरना से लेकर छठ का प्रसाद तैयार होता है।
1 माह तक होता है शादी ब्याह का आयोजन
हैदराबाद में रहने वाली एक महिला ने बताया कि वे लोग यहां एक माह तक रहेंगे। छठ समाप्त होते ही ये परिवार एक दूसरे के यहां शादी ब्याह का आयोजन करते हैं। एक अन्य बुजुर्ग महिला ने बताया कि हम लोग यहां हंसी-खुशी रहते हैं। एक-दूसरे के पास पहुंचते हैं। आपस में लड़का और लड़की पसंद करते हैं और शादी कराते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल 50 से ज्यादा शादियों का आयोजन किया गया था। इस वर्ष भी 100 से ज्यादा शादियां होने की उम्मीद है।
साल में एकबार सभी घुमंतू परिवारों का होता है मिलन
ये घुमंतू परिवार साल में एक बार खगड़िया पहुंचते हैं। जहां इनका एक-दूसरे से मिलना होता है। इसी दौरान इन परिवारों के कुंवारे लड़के और लड़कियों की शादी ब्याह का भी आयोजन होता है। एक माह खगड़िया में रहने के बाद ये सभी अपने-अपने राज्य और जिलों में लौट जाते हैं।
शहद निकालना आय का है मुख्य श्रोत
बेंगलुरु से आए शंकर मंडल, अनिल मंडल सहित कई घुमंतू परिवारों ने बताया कि इनके आय का मुख्य जरिया शहद निकालना है। ये लोग अलग अलग राज्य और जिले पहुंज शहद निकालने का काम करते हैं। इनसे जो आमदनी होती है उससे अपना परिवार चलाते हैं।
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