आइंस्टीन को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ के शव को नहीं मिली एम्बुलेंस, कर्मचारी ने मांगे 5000 रुपए

देश के महान गणितज्ञों में शुमार वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को पटना में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। एक तरफ जहां, बिहार के मुख्यमंत्री शोक संवेदना व्यक्त कर रहे थे, तो दूसरी ओर हॉस्पिटल में श्री सिंह का शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस वाले 5000 रुपए मांग रहे थे। जानिए पूरा मामला...

Asianet News Hindi | Published : Nov 14, 2019 6:00 AM IST / Updated: Nov 14 2019, 11:48 AM IST

पटना. देश के महान गणित वशिष्ठ नारायण सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद उनका PMCH में निधन हो गया। श्री सिंह देश के उन गिने-चुने गणितज्ञों में शुमार रहे हैं, जिन्होंने मैथ्स को एक नई परिभाषा दी। श्री सिंह करीब 40 साल से मानसिक बीमारी सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थे। वे लंबे समय से पटना के एक अपार्टमेंट में गुमनाम जिंदगी गुजार रहे थे। हालांकि मरने से पहले तक भी वे कॉपी-पेंसिल अपने साथ रखे रहे और कुछ न कुछ गणित लगाते रहे। 

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श्री सिंह का लंबे समय से हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। हाल में उन्हें छुट़्टी दी गई थी। लेकिन दुबारा तबीयत बिगड़ने पर गुरुवार को फिर से भर्ती कराया गया था। हालांकि जब उन्हें हॉस्पिटल लाया गया, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद ब्रेन डेड बताया था।  74 साल के वशिष्ठ नारायण सिंह मूलरूप से भोजपुर जिले के बसंतपुर के रहने वाले थे। पटना में वे अपने छोटे भाई के घर पर रह रहे थे। परिजनों ने बताया कि श्री सिंह के परिजनों ने बताया कि PMCH ने एम्बुलेंस देने से मना कर दिया। उनका पार्थिव शरीर काफी देर तक ब्लड बैंक के पास रखना पड़ा। एम्बुलेंस वाले 5000 रुपए मांग रहे थे। उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें महान विभूति बताया। उन्होंने कहा कि श्री सिंह ने बिहार का नाम रोशन किया। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी श्री सिंह के निधन पर दुख जताया है।

अमेरिका से 10 बक्से भरकर किताबें लाए थे..
श्री सिंह बचपन से ही तेजस्वी थे। उन्होंने मैथ्स से जुड़े कई फॉर्मूलों पर रिसर्च किया था। श्री सिंह ने आइंस्टीन जैसे ख्यात वैज्ञानिक के फॉर्मूले  E= MC2( इ= एमसी स्क्वायर) तक को चुनौती दी थी। एक बार तो उन्होंने पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अपने टीचर को भी बीच में टोक दिया था। टीचर ने कोई फॉर्मूला गलत बताया था। इस घटना के बाद कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें बुलाकर अलग से एग्जाम लिया था। यहां उन्होंने सारे अकादमिक रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। इसी बीच कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जे कैली उनकी प्रतिभा के कायल हो गए। वे उन्हें अपने साथ अमेरिका ले गए।

दरअसल, 1960 की बात है। कॉलेज में मैथमेटिक्स कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। इसी कांफ्रेंस में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बार्कले के एचओडी प्रो जॉन एल केली भी आए थे। कांफ्रेंस में गणित के पांच सबसे कठिन प्रॉब्लम्स दिए गए। उसे कोई सॉल्व नहीं कर सका, सिवाय वशिष्ठ नारायण सिंह के। प्रो. केली इसी बात से श्री सिंह से प्रभावित हुए थे। श्री सिंह ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। फिर वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। श्री सिंह ने नासा में भी काम किया। जब वे इंडिया लौटे, तो आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवाएं दीं। कहते हैं कि जब श्री सिंह अमेरिका से लौटे, तो अपने साथ 10 बक्से किताबें लाए थे। 

वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में कुछ अन्य जानकारियां..

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