दो-दो बार डेथ वारंट कैंसल होने के बाद क्या है निर्भया के गुनाहगार अक्षय के गांव का हाल

निर्भया केस के चारों दोषियों का डेथ वारंट दो-दो बार कैंसल किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पीटिशन दायर कर उनके वकील अबतक उन्हें फांसी से बचाए हैं। हालांकि फांसी टलने का देशव्यापी विरोध भी हो रहा है। 

औरंगाबाद। देश को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप केस में सात साल के लंबे इंतजार के बाद चारों जीवित बचे गुनाहगारों को फांसी की सजा पटियाला हाउस कोर्ट ने मुकर्रर की थी। चारों का डेथ वारंट जारी कर दिया गया था। चारों गुनाहगारों के वजन के हिसाब से पुतला बनाकर फांसी का पूर्वाभ्यास भी किया जा चुका था। लेकिन ऐन वक्त पर फांसी टाल दी गई। चारों के डेथ वारंट को दो-दो बार कैंसल किया जा चुका है। कोर्ट के इस कदम से देशव्यापी विरोध की लहर दिख रही है। कई महिला संगठनों ने इसपर सख्त आपत्ति जताई है। लेकिन फांसी देने के नियम के कारण चारों दरिंदें अबतक बचे हैं। 

5 मई 2017 को दी गई थी फांसी की सजा
उल्लेखनीय हो कि निर्भया केस में 10 सितंबर 2013 को चार आरोपी अक्षय ठाकुर, मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को दोषी करार दिया गया था। 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इन चारों को दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था। जिसके बाद से अबतक कई साल बीत चुके है। लेकिन इन दोषियों को इनके किए की सजा नहीं मिली है। सभी आरोपी फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। दूसरी ओर इनके परिजन अपने-अपने गांव में परेशानी से भरा अपना जीवन काट रहे हैं। निर्भया के साथ हैवानियत की हदें पार करने वाले दरिंदों में एक बिहार का भी है।

Latest Videos

गम और गुस्से के साथ जीवन काट रहा परिवार
बिहार के औरंगाबाद जिले के कर्मा लहंग गांव निवासी अक्षय ठाकुर भी इस केस में फांसी की सजा पा चुका है। अक्षय का नाम इस केस में आने के बाद से पिता का परिवार गम और गुस्से के साथ अपना जीवन जी रहा है। एक फरवरी को फांसी दिए जाने की चर्चा के बीच जब अक्षय के भाई से बात की गई थी तो उन्होंने निराकार भाव से कहा था कि जो कुछ भी करना है वो सरकारी वकील कर रहे हैं। हमारे पास इतनी औकात नहीं है कि हम दिल्ली में रहकर केस लड़ सके। 

सजा को मौन स्वीकृति दे चुके हैं गांववाले
डेथ वारंट कैंसल होने के बाद भी उनका ये भाव बना हुआ है। हमसे बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि फांसी दे देने से बलात्कार जैसी घटना रुक जाती है, तो निश्चित रूप से सभी को फांसी दे दी जाए। लेकिन सरकार क्या इस फांसी के बाद बलात्कार नहीं होने की गारंटी ले सकता है। विनय ने सवाल उठाते हुए कहा कि अक्षय के बाद उसके परिवार का भरण-पोषण कौन करेगा। वहीं अक्षय के पिता-पत्नी और अन्य परिजनों ने कोई बातचीत नहीं की। उसके घर के साथ-साथ गांव में भी इस मामले पर बात करने वाला कोई नहीं मिला। ऐसा लगा मानो गांव वाले इस सजा को अपनी मौन स्वीकृति दे चुके हो। हालांकि अक्षय के अलावा उसके अन्य परिजनों से गांव वालों की सहानुभूति दिखी।

Share this article
click me!

Latest Videos

Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
UPPSC Student Protest: प्रयागराज में क्या है छात्रों की प्रमुख मांग, चौथे भी डटे हुए हैं अभ्यर्थी
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल
SDM थप्पड़कांड के बाद हर तरफ बवाल, ठप हो गया राजस्थान और नरेश मीणा को घसीटते हुए ले गई पुलिस
वोटिंग के बीच नरेश मीणा ने SDM को ही मार दिया थप्पड़, जानें वायरल वीडियो का पूरा सच