अक्षय कुमार (Akshay Kumar) पांच साल पहले 2016 में रिलीज हुई फिल्म 'रुस्तम' की वजह से मुसीबत में फंस गए हैं। अक्षय कुमार समेत फिल्म से जुड़े 6 अन्य लोगों और एक थिएटर मालिक को कानूनी नोटिस मिला है। दरअसल, पूरा विवाद फिल्म के एक डायलॉग को लेकर है, जिसमें सेशन जज का रोल निभा रहे एक्टर अनंग देसाई ने कोर्ट रूम सीन के दौरान वकीलों को बेशर्म कह दिया था। इस मामले को लेकर एडवोकेट मनोज गुप्ता ने वकीलों की मानहानि करते हुए मुकदमा दायर किया है।
मुंबई। अक्षय कुमार (Akshay Kumar) पांच साल पहले 2016 में रिलीज हुई फिल्म 'रुस्तम' की वजह से मुसीबत में फंस गए हैं। अक्षय कुमार समेत फिल्म से जुड़े 6 अन्य लोगों और एक थिएटर मालिक को कानूनी नोटिस मिला है। दरअसल, पूरा विवाद फिल्म के एक डायलॉग को लेकर है, जिसमें सेशन जज का रोल निभा रहे एक्टर अनंग देसाई ने कोर्ट रूम सीन के दौरान वकीलों को बेशर्म कह दिया था। इस मामले को लेकर एडवोकेट मनोज गुप्ता ने वकीलों की मानहानि करते हुए मुकदमा दायर किया है। इसके साथ ही उन्होंने आरोपियों को अलग-अलग धाराओं के तहत कड़े दंड और जुर्माने की मांग की है।
एडवोकेट मनोज गुप्ता के मुताबिक, यह केस 2016 में फिल्म रिलीज होने के बाद किया गया था। लेकिन किसी वजह से तब सुनवाई नहीं हो पाई और मामला टल गया था। इसके बाद, 2020 में इस केस पर सुनवाई होनी थी। लेकिन कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। अब जाकर कोर्ट ने फिल्म की टीम के सदस्यों को नोटिस जारी किया है, जिसके तहत उन्हें 10 मार्च को कोर्ट के सामने पेश होना है।
इनके खिलाफ जारी हुआ नोटिस :
जिन लोगों को नोटिस जारी हुआ है, उनमें अक्षय कुमार के अलावा सुभाष चंद्रा (रुस्तम की प्रोडक्शन कंपनी जी एंटरटेनमेंट के चेयरमैन), मुरुदल केजार (जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेस लिमिटेड के एमडी और सीईओ), टीनू सुरेश देसाई (फिल्म के डायरेक्टर), विपुल के रावल (फिल्म के राइटर), अनंग देसाई (एक्टर) और सुरेश गुप्ता (कटनी के सिटी प्राइड सिनेमा हॉल के मालिक) शामिल हैं।
ये है पूरा मामला :
फिल्म में एक कोर्ट रूम ड्रामे के दौरान जज (अनंग देसाई) नेवी कमांडर रुस्तम पावरी (अक्षयकुमार) से कहते हैं- कमांडर पावरी कुछ वक्त के लिए अपनी नेवी की तहजीब और प्रोटोकॉल भूल जाइए। बस ये समझिए कि आप एक बेशर्म वकील हैं, जो अपने गवाह से कुछ भी पूछ सकता है। एडवोकेट मनोज गुप्ता को फिल्म के इस डायलॉग पर घोर आपत्ति है। उनके मुताबिक, कोई भी वकील अपने गवाह से कानून के दायरे में पूछताछ कर सकता है और इस तरह की पूछताछ करना कहीं से भी बेशर्मी नहीं कहलाती।