Dadasaheb Phalke Award: आशा पारेख को मिलेगा सिनेमा जगत का सबसे बड़ा अवॉर्ड, जानिए कितनी होगी सम्मान राशि?

79 साल की आशा पारेख ने 1950 के दशक से 1990 के दशक तक बतौर एक्ट्रेस भारतीय सिनेमा में योगदान दिया है। 1992 में भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था।

Gagan Gurjar | Published : Sep 27, 2022 8:39 AM IST / Updated: Sep 27 2022, 04:28 PM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. dadasaheb phalke award 2022. बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा आशा पारेख (Asha Parekh) को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award) से सम्मानित किया  जाएगा। मंगलवार दोपहर यह घोषणा की गई। 2 अक्टूबर को 80 साल की होने जा रहीं आशा को यह पुरस्कार साल 2020 के लिए दिया जाएगा। इसके पहले वाले संस्करण में सुपरस्टार रजनीकांत (Rajinikanth) को इस सम्मान से विभूषित किया गया था। अवॉर्ड के विजेता क स्वर्ण कलश के साथ शॉल और एक लाख रुपए की नगद राशि दी जाती है।

बतौर चाइल्ड एक्ट्रेस फिल्मों में आई थीं आशा पारेख

आशा पारेख ने 1959 में आई फिल्म 'दिल देके देखो' से बॉलीवुड में कदम रखा था, जिसके लीड एक्टर शम्मी कपूर थे। हालांकि, इससे पहले वे बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम कर चुकी थीं। उन्हें 1952 में आई फिल्म 'मां' और 1954 में रिलीज हुई 'बाप बेटी' में चाइल्ड एक्टर के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते देखा गया था। लीड एक्ट्रेस के रूप में बॉलीवुड डेब्यू करने के बाद उन्होंने 'जब प्यार किसी से होता है' (1961), 'तीसरी मंजिल' (1966), 'कटी पतंग' (1970), 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' (1978), 'भाग्यवान (1993), 'घर की इज्जत' (1994) और 'आंदोलन' (1995) जैसी फिल्मों में देखा गया।

मां के कारण कला के क्षेत्र में आईं आशा पारेख

आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को एक गुजराती परिवार में हुआ था। उनकी मां सुधा बोहरा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और उनका असली नाम सलमा था। जबकि आशा के पिता बच्चूभाई पारेख गुजराती हिंदू कम्युनिटी से बिलॉन्ग करते थे। आशा मां के कारण कला के क्षेत्र में आईं। उनकी मां ने उनका दाखिला भारतीय शास्त्रीय नृत्य की क्लासेस में करा दिया था, जहां से उन्होंने पंडित बंसीलाल भारती जैसे गुरुओं के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त की।

90 के दशक में एक्टिंग से दूर हुईं आशा

90 के दशक में आशा पारेख ने एक्टिंग से दूरी बना ली। उन्होंने 'आंदोलन' के बाद उन्होंने 1999 में आई फिल्म 'सर आंखों पर' में कैमियो किया था। एक्टिंग छोड़ने के बाद आशा टीवी डायरेक्टर बन गईं और उन्होंने 'ज्योति' जैसे गुजराती शोज का निर्माण किया।उनके प्रोडक्शन हाउस का नाम आकृति आशा है, जिसके बैनर तले उन्होंने 'पलाश के फूल', 'बाजे पायल', 'कोरा कागज़' और 'दाल में काला' जैसे सीरियल्स बनाए हैं।आशा 'त्यौहार धमाका' जिसे रियलिटी शो की जज भी रही हैं।

और पढ़ें...

भोजपुरी सुपरस्टार का ऐसा ट्रांसफॉर्मेशन कि पहचान भी नहीं पा रहे लोग, पोस्टर देख बोले- बॉलीवुड मुश्किल में है

Koffee With Karan : क्या वरुण धवन के पिता को डेट कर रहे थे करन जौहर? डायरेक्टर ने खुद बताई सच्चाई

अर्चना पूरन सिंह ने बयां किया दर्द, जानिए क्यों कहा कि मुझे डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स से काम मांगना पड़ेगा

वर्ल्डवाइड 400 करोड़ से ज्यादा कमाकर भी टॉप 15 में नहीं 'ब्रह्मास्त्र', 6 फिल्मों की तो आधी कमाई भी नहीं कर सकी

 

Share this article
click me!