कंडोम सेल्स गर्ल के रोल में नुसरत भरूचा सटीक, 'जनहित में जारी' के डायरेक्टर ने सुनाई पर्दे के पीछे की कहानी

डायरेक्टर जय बसंतु सिंह कहते हैं कि अपने निर्देशन के सफर को शुरू करने के लिए उन्हें "जनहित में जारी" से बेहतर प्रोजेक्ट नहीं मिल सकता था।

Gagan Gurjar | Published : Jun 13, 2022 9:09 AM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉलीवुड में अब वे दिन गए जब निर्देशक सुपर स्टार्स के साथ बड़े बजट के प्रोजेक्ट्स करते थे और लार्जर दैन लाइफ कहानी को पेश करना चाहते थे। अब काफी कम बजट में डिफरेंट कहानियों को प्रस्तुत करके वाहवाही लूटी जा रही है। आजकल एक ऐसी ही सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्म चर्चा में है, जो समाज को संदेश देते हुए मनोरंजन भी करती है। हम बात कर रहे हैं नवोदित निर्देशक जय बसंतू सिंह की नुसरत भरुचा स्टारर (Nushrat Bharucha) 'जनहित में जारी' (Janhit Mein Jaari) के बारे में। फिल्म को लेकर जय बसंतु सिंह (Jai Basantu Singh) कहते हैं, ''मुझे अपने निर्देशन के सफर को शुरू करने के लिए इससे बेहतर प्रोजेक्ट नहीं मिल सकता था।''

नुसरत भरूचा के रोल को लेकर यह बोले जय बसंतु

Latest Videos

जय बसंतु सिंह आगे कहते हैं, "जनहित में जारी एक चुनौतीपूर्ण विषय है। यह एक ऐसी लड़की के बारे में है, जो कंडोम की सेल्सगर्ल है। एक ऐसे देश में जहां अभी भी कंडोम को एक वर्जित शब्द के रूप में देखा जाता है, मुझे इस विषय को नाजुक ढंग से संभालने के लिए बहुत सावधान रहना पड़ा। मैं नहीं चाहता था कि यह फिल्म सिर्फ कोई उपदेश दे, लेकिन साथ ही साथ एक अच्छा संदेश भी देती हो। लेकिन चीजें उस वक्त बेहतर हो गईं, जब मुझे प्रतिभाशाली अभिनेत्री नुसरत भरूचा के साथ काम करने का मौका मिला, जो इस भूमिका के लिए एकदम सही थीं। यहां तक कि बाकी कलाकारों ने भी काफी सपोर्ट किया। मैं शुरू से चाहता रहा कि यह फिल्म एक पारिवारिक एंटरटेनर हो, ना कि कंडोम का एक टीवी कमर्शियल हो, जिसे लोग घरों में टीवी देखते समय असहज महसूस करें और टीवी से दूर चले जाएं।"

मां के फिल्मों के शूट ने बना दिया डायरेक्टर

यह कहना गलत नहीं होगा कि जय बसंतू सिंह की फिल्म इंडस्ट्री की यात्रा भी फिल्मी टाइप की कहानी प्रतीत होती है। उनकी मां फिल्मों की बहुत बड़ी शौकीन थीं, और वह फिल्म की शूटिंग और फिल्म की स्क्रीनिंग के बीच बड़े हुए थे।  वे कहते हैं, "मेरी मां पूरी तरह से फिल्मों की शौकीन थीं और पहले दिन पहला शो देखती थीं। वह मुझे बहुत सारी फिल्में देखने के लिए भी ले जाती थी। यहीं से मुझमें सिनेमा के प्रति प्यार जगा। मुझे आज भी याद है, मैं स्कूल बंक करता था और घंटों सेट पर शूटिंग देखने जाता था। मैं तब भी जानता था कि यही वह इंडस्ट्री है जिसमें मैं प्रवेश करना चाहता था। मेरे कई दोस्त अभिनेताओं को देखने में रुचि रखते थे, मैं इस व्यक्ति पर मोहित हो जाता था जो डायरेक्ट करता था। जिसे हर कोई सुनता और फॉलो करता था। मुझे नहीं पता था कि एक निर्देशक क्या होता है, लेकिन मैं तब भी जानता था, मैं यही बनना चाहता था।"

'जनहित में जारी' तक पहुंचने करना पड़ा कड़ा संघर्ष

'जनहित में जारी' जय बसंतु सिंह को अचानक नहीं मिली। एक फीचर फिल्म को डायरेक्ट करने का मौका मिलने से पहले उनका वर्षों का लंबा संघर्ष था। जय बसंतु सिंह अपनी यात्रा को याद करते हुए कहते हैं, "जब मैंने इंडस्ट्री में प्रवेश किया, तो मैं सीधे प्रोडक्शन में चला गया और मुझे यह महसूस करने में ज्यादा समय नहीं लगा कि निर्देशन ही मेरा जुनून है। मैंने 3-4 साल तक सहायक निर्देशक के रूप में काम किया और फिर ज़ी टीवी में कम्पैन और प्रोमो निर्देशक के रूप में शामिल हो गया। मैंने फिक्शन और रियलिटी शो के 600-700 कैंपेन और प्रोमो शूट किए। यहीं से मेरा डायरेक्शन का सफर शुरू हुआ। मेरे बॉस, पुनीत गोयनका और अश्विनी यार्डी ने वास्तव में मुझे अपनी इच्छानुसार शूट करने के लिए पूरी छूट दी थी। मैं वास्तव में ज़ी टीवी और उन दोनों को अपने सीखने के वर्षों का एक बड़ा क्रेडिट दूंगा। 2008 में मैंने ज़ी छोड़ दिया और लगभग सभी बड़े चैनल्स के लिए स्वतंत्र रूप से कम्पैन और प्रोमो डायरेक्ट करने लगा। 2009 में मैंने टीवी शोज़ को सेट अप डायरेक्टर के रूप में निर्देशित करना शुरू किया, जहां 30 सेकंड से 30 मिनट तक की कहानी कहने की मेरी यात्रा शुरू हुई। मैं आज जहां हूं, वहां नहीं पहुंच पाता अगर मैंने इतने सारे कम्पैन और टीवी शोज़ डायरेक्ट न किए होते।" जय बसंतु सिंह ने 'ये उन दिनों की बात है', 'एक दूजे के वास्ते', 'ये प्यार नहीं तो क्या है', 'ये रिश्ता क्या कहलाता है', 'नमूने', 'जीनी और जीजू' जैसे कई हिट शो का निर्देशन किया है।

लोगों के विश्वास ने दी निर्देशन की ताकत

जय बसंतु कहते हैं, "मैं इस प्रोजेक्ट से पटकथा लेखक के रूप में जुड़ा था, लेकिन जहां भी मैं पटकथा सुनाता था, चाहे वह अभिनेताओं को, स्टूडियो या निर्माताओं को, उन्होंने हमेशा स्वीकार किया कि मैं कितनी सहजता से स्क्रिप्ट को देखे बिना सुनाता हूं, वह भी ढाई घंटे तक। तभी मेरी टीम, निर्माता और स्टूडियो मुझसे कहने लगे कि मुझे फिल्म का निर्देशन करना चाहिए। लोगों का मुझ पर विश्वास देखकर मुझे इस फिल्म को निर्देशित करने की ताकत मिली।"

और पढ़ें...

ड्रग्स केस में सिद्धांत कपूर की गिरफ्तारी पर बिफरे शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे, एक्शन लेने वालों पर उठाया बड़ा सवाल

कभी ड्रग्स केस में फंसे बेटा-बेटी, कभी सेक्शुअल फेवर मांगता पकड़ाया बाप, शक्ति कपूर के परिवार के 5 बड़े विवाद

ड्रग्स केस में बेटे सिद्धांत की गिरफ्तारी पर आया शक्ति कपूर का पहला रिएक्शन, जानिए क्या कहा?

दूसरी एक्ट्रेसेस से अलग कुछ और ही है दिशा पाटनी की फिटनेस का राज, जानिए आखिर क्या करती हैं ऐसा?

 

Share this article
click me!

Latest Videos

Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
धारा 370 पर मोदी ने खुलेआम दिया चैलेंज #Shorts
दिल्ली सरकार की नई कैबिनेट: कौन हैं वो 5 मंत्री जो आतिशी के साथ लेंगे शपथ
Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
'तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी', Chandra Babu Naidu के बयान पर बवाल