Lata Mangeshkar के पिता को किसने दी थी “संगीत रत्न” की उपाधि, लताजी ने ही किया था इस बात का खुलासा

स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का आज 6 फरवरी, रविवार की सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। लता जी के निधन (Lata Mangeshkar Death) पर 2 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए शिवाजी पार्क में रखी जाएगी।

Asianet News Hindi | Published : Feb 6, 2022 10:28 AM IST

उज्जैन. लता मंगेशकर पिछले कुछ दिनों से निमोनिया और कोरोना के कारण अस्पताल में उपचार ले रही थीं। लता मंगेशकर ने काफी समय पहले से ही सामाजिक कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी, लेकिन सोशल मीडिया पर वो काफी एक्टिव थीं। समय-समय टि्वटर, फेसबुक आदि पर उनकी पोस्ट दिखाई देती थीं। लताजी ने पिछले साल 14 मई 2021 को अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर (Dinanath Mangeshkar) की एक फोटो शेयर की थी और उससे जुड़ी खास बात भी बताई थी। 

फोटो शेयर कर लिखी थी भावनात्मक पोस्ट
100 साल पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फोटो को शेयर करते हुए लता मंगेशकर ने लिखा था, 'नमस्कार, 14 मई 1922 को श्रीमद जगद्गुरु श्री शंकराचार्य डॉक्टर कुर्तकोटी गंगापुर पीठ नासिक- इन्होंने मेरे परम पूज्य पिता जी को 'संगीत रत्न' की उपाधि से सम्मानित किया था। हम अपने आप को भाग्यशाली समझते हैं कि ऐसे दिव्य पिता जी की हम संतान हैं।' इस तस्वीर में शंकराचार्य डॉक्टर कुर्तकोटी बीच में बैठे दिखाई दे रहे हैं। इस फोटो में उनके पिता शंकराचार्य के किस ओर खड़े हैं, ये उन्होंने नहीं बताया।

पिता से ही मिली संगीत की प्रेरणा
बहुत कम लोग जानते हैं कि अपनी सुरीली आवाज से बॉलीवुड को कई सुपरहिट गाने देने वालीं लता मंगेशकर को सिंगिंग की प्रेरणा उनके पिता से ही उन्हें मिली थी। दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध मराठी थिएटर अभिनेता, प्रसिद्ध नाट्य संगीत संगीतकार और गायक थे। लता मंगेशकर के अलावा, आशा भोंसले ,मीणा खड़ीकर, उषा मंगेशकर और संगीतकार हृदयनाथ मंगेशकर भी उन्हीं की संतान हैं। 

ये थे दीनानाथ मंगेशकर के गुरु
दीनानाथ मंगेशकर 5 साल की उम्र में श्री बाबा माशेलकर से गायन और संगीत की शिक्षा लेने लगे थे तथा ग्वालियर संगीत विद्यालय के छात्र भी रहे। वे ज्ञानाचार्य पंडित रामकृष्ण बुआ वझे की विविधता पूर्ण और आक्रामक गायन शैली से मोहित हुए और उनके शागिर्द बन गए। अपनी जवानी में उन्होंने बीकानेर की यात्रा की और किराना घराना के पंडित सुखदेव प्रसाद, पंडित मणि प्रसाद के पिता से शास्त्रीय संगीत में औपचारिक प्रशिक्षण लिया। 41 साल की अल्पायु में ही बीमारी के चलते दीनानाथ मंगेशकर का निधन सन 1942 में हो गया था।

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