कभी इस धर्म स्थल पर था पुर्तगालियों का कब्जा, आज लोग कहते हैं “लता मंगेशकर का मंदिर”, जानिए क्यों खास है स्थान

भारत की स्वर कोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) इस दुनिया से विदा ले चुकी हैं। 6 फरवरी, रविवार की सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका निधन हो गया। लता जी के निधन (Lata Mangeshkar Death) पर 2 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए शिवाजी पार्क में रखी जाएगी।

Asianet News Hindi | Published : Feb 6, 2022 7:12 AM IST

उज्जैन. लताजी का धर्म के प्रति गहरा रुझान था। जब उनकी तबियत खराब हुई तो देश के कई ख्यात मंदिरों में उनके जल्दी स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना भी की गई। उन मंदिरों में गोवा का मंगेशी मंदिर भी है। पिछले साल उनके जन्मदिन पर मंगेशी मंदिर (Mangeshi Temple Goa) में विशेष पूजा का आयोजन भी हुआ था। इसके बारे में स्वयं उन्होंने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर जानकारी दी थी। लता मंगेशकर के दादाजी गणेश भट्ट नवाथे कभी इस मंदिर के पुजारी थी और इसी मंदिर से इनके पिता को मंगेशकर उपनाम मिला। लोग इसे लता मंगेशकर का मंदिर भी कहते हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

इसलिए खास है गोवा का मंगेशी मंदिर
मंगेशी शिव मंदिर गोवा के मंगेशी गांव (Mangeshi Village Goa) में स्थित है और यह राज्य के सबसे धनी और सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है। मंदिर राज्य की राजधानी शहर से लगभग 21 किमीदूर है और उत्तरी गोवा में स्थित है। मंगेशी मंदिर भगवान मंगेश को समर्पित किया गया है। किंवदंती है कि एक बार भगवान शिव ने अपनी प्यारी पत्नी देवी पार्वती को डराने के लिए खुद को बाघ में बदल लिया था और जब देवी पार्वती ने बाघ को देखा, तो वह काफी डर गई और भगवान शिव की खोज में ’त्राहिमाम गिरीशा’कहते हुए निकल पड़ी, जो समय के साथ मुंगिरिशा या मंगेश तक फैल गई। 

श्री मंगेशी मंदिर का इतिहास 
- इतिहासकारों के अनुसार, 1543 में पुर्तगालियों ने गोवा के मंगेश गांव पर अपना कब्जा कर लिया था। 1560 के आसपास, जब पुर्तगालियों ने ईसाइयों के लिए धर्मांतरण शुरू किया। 
- तब स्थानीय लोगों ने मंगेश लिंग को अपने मूल स्थल से कहीं और स्थानांतरित कर दिया। बाद में इसे पुन: मूल स्थान पर लाकर स्थापित किया गया। इस मंदिर दो बार जीर्णोद्धार कार्य करना पड़ा। 
- पहला मराठों के शासनकाल के दौरान और दूसरी बार 1890 के दौरान और हाल ही में, 1973 में अंतिम जीर्णोद्धार किया गया था, जब मंदिर के शीर्ष पर विशेष रूप से स्वर्ण कलश लगाया गया था। 
- ऐसा कहा जाता है कि सबसे पुरानी संरचना अपनी निर्मित, और स्थापत्य शैली में काफी सरल थी। वर्तमान संरचना को केवल मराठा शासन के दौरान अधिक अनुकूल तरीके से बनाया गया था। 

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ये हैं श्री मंगेशी मंदिर के आकर्षण का केंद्र 
1.
10 मंदिर में सात मंजिला दीपक टॉवर और मंदिर के परिसर में सुन्दर पानी के फव्वारे से घिरे दीपस्तंभ मंदिर का सबसे पुराना हिस्सा माना जाता है। जब दीयों से रोशनी की जाती है, तो इस स्थान की आभा देखते ही बनती है।  
2. खंडेपर गुफा मंदिर, ये कोंडापार नदी के किनारे पोंडा तालुक में स्थित हैं। यह माना जाता है कि इन गुफाओं को 12वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था और 1970 में खोजा गया था। किसी भी इतिहास प्रेमी के लिए, इन गुफाओं की तलाश एक बहुत अच्छा विकल्प हैं।  

 

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