केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) जल्द ही 4 और बैंकों का प्राइवेटाइजेशन (Bank privatisation) कर सकती है। इनमें बैंक ऑफ इंडिया (BOI), सेंट्रल बैंक (Central Bank) कुछ दूसरे बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।
बिजनेस डेस्क। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) जल्द ही 4 और बैंकों का प्राइवेटाइजेशन (Bank privatisation) कर सकती है। इनमें बैंक ऑफ इंडिया (BOI), सेंट्रल बैंक (Central Bank) कुछ दूसरे बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए 4 मिड साइज राज्यों के द्वारा संचालित बैंकों का चयन किया है। इन बैंकों का जल्द ही प्राइवेटाइजेशन किया जा सकता है। इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) के नाम शामिल हैं।
क्या है सरकार की योजना
सरकारी बैंकों को बेचकर सरकार रेवेन्यू जुटाना चाहती है। सरकार की योजना इस पैसे का इस्तेमाल विविध योजनाओं में करने की है। यह वजह है कि सरकार बड़े पैमाने पर बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की नीति बना रही है। फिलहाल, बैंकिंग सेक्टर में सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है, जिसमें लाखों की संख्या में कर्मचारी काम करते हैं। बैकों के प्राइवेटाइजेशन से कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
निर्मला सीतारमण ने बजट में की थी घोषणा
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने केंद्रीय बजट 2021 को पेश करते हुए घोषणा की थी कि सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंकों और 1 सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाएगा। सरकार इस समय विनिवेश (Disinvestment) पर ज्यादा ध्यान दे रही है। इसके साथ ही भारत पेट्रोलियम (Bharat Petroleum) में विनिवेश की योजना बनाई जा रही है।
सिर्फ रहेंगे 5 सरकारी बैंक
इस समय केंद्र सरकार सरकारी बैंकों (PSU Banks) में से आधे से ज्यादा के करने की योजना बना रही है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो आने वाले समय में देश में सिर्फ 5 सरकारी बैंक रह जाएंगे। बैंकिंग सेक्टर में बीते तीन वर्षों में विलय और निजीकरण के चलते सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 ही रह गई है, जिसे केंद्र सरकार अब 5 तक ही सीमित करने की तैयारी में है। इसके लिए नीति आयोग ने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है।