केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनियों के लिये 40,995 करोड़ रुपये के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन को शनिवार को मंजूरी दी
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिये 40,995 करोड़ रुपये के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन को शनिवार को मंजूरी दी। इससे क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग राजस्व बढ़ने के साथ ही करीब आठ लाख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने का अनुमान है।
केंद्रीय संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने शनिवार को बताया कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिये पांच साल में 40,995 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देगी। उन्होंने कहा कि योजना के तहत पूंजीगत निवेश पर 25 प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया जायेगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा बढ़ावा
उन्होंने कहा, ‘‘भारत को नयी दिशाओं तथा चिकित्सकीय इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा केंद्र बनाने के लिये दो दीर्घकालिक नीतिगत निर्णय लिये गये हैं। मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन को मंजूरी दी है। हम इस क्षेत्र में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के तहत अगले पांच साल के दौरान 40,995 करोड़ रुपये उपलब्ध करायेंगे।’’
उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन कंपनियों की बिक्री में वृद्धि तथा पूंजीगत निवेश से जुड़ा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम इन योजनाओं के दम पर 2025 तक 10 लाख करोड़ रुपये का मैन्युफैक्चरिंग राजस्व सृजित करने की उम्मीद कर रहे हैं।’’
प्रसाद ने कहा कि योजना के तहत पूंजीगत निवेश पर 25 प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया जायेगा।
मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग को होगा फायदा
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि योजना का लक्ष्य घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना तथा मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग और एसेंबली टेस्टिंग, मार्किंग एंड पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयों समेत विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक कल-पुर्जों के मैन्युफैक्चरिंग में निवेश आकर्षित करना है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘योजना के तहत तय क्षेत्रों में पात्र कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में बिक्री में हुई वृद्धि पर चार प्रतिशत से छह प्रतिशत का प्रोत्साहन मिलेगा। यह प्रोत्साहन आधार वर्ष से अगले पांच साल तक मिलेगा। इस योजना के तहत मोबाइल फोन के घरेलू मूल्य वर्धन के 2025 तक बढ़कर 35 से 40 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है, जो अभी दो से 25 प्रतिशत तक है।’’
आठ लाख अवसरों के सृजन का अनुमान
बयान में कहा गया कि इस योजना से प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर रोजगार के आठ लाख अवसरों के सृजन का अनुमान है। मंत्रालय ने कहा कि भारत में विनिर्मित इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का मूल्य सालाना करीब 25 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और यह 2014-15 के 1,90,366 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 4,58,006 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
बयान में कहा गया कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की हिस्सेदारी छह साल में करीब ढाई गुना बढ़ी है। यह हिस्सेदारी 2012 में महज 1.3 प्रतिशत थी जो 2018 में तीन प्रतिशत पर पहुंच गयी। इलेक्ट्रॉनिक सामानों का देश का निर्यात भी 2017-18 के 41,220 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 61,908 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘उद्योग जगत के अनुमान के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग से देश भर में 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।’’
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)