लॉकडाउन से बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था, 2% तक घट सकती है GDP ग्रोथ

भारतीय रिजर्व बैंक ने दक्षिण एशियाई देशों में कोरोना के प्रभाव को देखते हुए अपनी रिपोर्ट में बदलाव किया है। आरबीआई के अनुसार कोरोना के प्रकोप से पहले 2020-21 के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं दिख रही थी, पर इस महामारी के आने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में जा सकती है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 9, 2020 1:49 PM IST

मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक ने दक्षिण एशियाई देशों में कोरोना के प्रभाव को देखते हुए अपनी रिपोर्ट में बदलाव किया है। आरबीआई के अनुसार कोरोना के प्रकोप से पहले 2020-21 के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं दिख रही थी, पर इस महामारी के आने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में जा सकती है। कोरोना के संक्रमण के बाद बाजार से मिले शुरुआती संकेत यही बयां करते हैं। 

2 प्रतिशत तक कम हो सकती है GDP ग्रोथ
साल 2019 में आखिरी महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी देखी गई और जीडीपी ग्रोथ पिछले 6 सालों में सबसे कम रही। इसके बाद साल 2020 के लिए यह दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, जो कि पिछले एक दशक में सबसे कम था। इसके बाद आए कोरोना वायरस ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। पूरे देश के लॉकडाउन होने से विकास दर में खासा प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल भारत की ग्रोथ 1.5 से 2 प्रतिशत तक गिर सकती है। पिछले कई दशकों में ऐसा नहीं हुआ है। 

क्रूड से मिला लाभ भी पर्याप्त नहीं 
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से भारत को अच्छा खासा फायदा हुआ है, पर कोरोना के चलते हुए नुकसान ने इस फायदे को पूरी तरह खत्म कर दिया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि क्रूड से मिला फायदा भी इस नुकसान की भारपाई नहीं सक सकता। हालांकि सरकार और बैंक अपने स्तर पर इस नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने के अंत में ही कर्ज की दर में 75 पॉइंट की कमी की थी। इसके अलावा भी डॉलर की तरलता को बढ़ाने के लिए कई अन्य उपाय किए गए थे। 

फरवरी में 6.58 रही मुद्रास्फीति की दर
भारत में फरवरी के महीने के महीने में मुद्रस्फीति की दर 6.58 फीसदी रही है। मार्च में यह 5.93 % हो सकती है। इसके बाद सरकार ने जून तिमाही में इसे 4.8% सितंबर में 4.4% दिसंबर में 2.7% और वित्त वर्ष के अंत में 2.4 प्रतिशत तक ले जाने की योजना बनाई है। इसके साथ ही रिजर्ऴ बैंक ने कहा कि मांग में उम्मीद से ज्यादा कमी आ सकती है। इससे मुद्रास्फीति और कमजोर हो सकती है। इसके सभी जोखिम फिलहाल संतुलित हैं। 

भारत में 6 हजार से ज्यादा मामले 
भारत में कोरोना के 6 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। साथ ही इस महामारी से अब तक 186 लोगों की मौत हो चुकी है। 569 लोग इस महामारी को मात देकर फिर से स्वस्थ्य होने में भी सफल रहे हैं। दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में अपना आतंक फैलाने के बाद कोरोना अब छोटे शहरों और गांवों में  भी फैल चुका है। जिसके बाद लॉकडाउन को और आगे बढ़ाया जा सकता है। 

Share this article
click me!