ऑनलाइन केवाइसी अपडेट करने, क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने, बैंक खाते की जानकारी दुरूस्त करने या कोई सामग्री बेचने के लिए कई बार यूजर्स के मोबाइल में लिंक भेजा जाता है।
बिजनेस डेस्क. ऑनलाइन एवं डिजिटल तरीके से राशि का भुगतान करने का बढ़ रहा चलन और सामग्री की खरीदारी की आदत साइबर फ्रॉड करने वालों के लिए आपदा में अवसर का काम कर रही है। फ्रॉड यह पता लगा लेते हैं कि आपने किस तरह की वेबसाइट पर जाकर चीजें सर्च की हैं। इसके बाद वो आपको निशाना बनाते हैं। सुरक्षित लेनदेन के लिए ज्यादातर ऑनलाइन पेमेंट में ओटीपी (One time password) भेजते हैं जिसके बाद आपका ट्रांजेक्शन पूरा होता है लेकिन कई बार ओटीपी के कारण आप साइबर फ्रॉड का भी शिकार हो जाते हैं ऐसे में आइए जानते हैं ओटीपी के जरिए ही आप पता लगा सकते हैं।
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ऑनलाइन केवाइसी अपडेट करने, क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने, बैंक खाते की जानकारी दुरूस्त करने या कोई सामग्री बेचने के लिए कई बार यूजर्स के मोबाइल में लिंक भेजा जाता है। इस लिंक को भेजने के बाद कंपनी कॉल करके कस्टमर से ओटीपी मांगती है। जब आपसे कोई ओटीपी मांग तब आप अलर्ट हो जाएं।
आधिकारिक कॉल में नहीं पूछे जाती डिटेल्स
जब आप किसी आधिकारिक बेवसाइट पर या एप पर होते हैं तो संबंधित कर्मचारी या कॉल सेंटर वाला व्यक्ति आपकी समस्या का समाधान बिना ओटीपी पूछे करता है। सही कॉल में कभी भी यूजर्स से ओटीपी नहीं पूछा जाता है। जिस साइट पर कस्टमर से उसकी डिटेल्स या ओटीपी पूछा जाए वह आधिकारिक नहीं बल्कि फ्रॉड साइट होती हैं।
ज्यादातर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वाली सभी कंपनियां भुगतान और पेमेंट के लिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर करने एवं ओटीपी भेजती हैं लेकिन ये ओटीपी तभी आता है जब आप कोई ट्रांजेक्शन करते हैं। किसी प्रकार की दिक्कत होने पर जब आप कॉल सेंटर पर कॉल करते हैं तो कॉल सेंटर का कर्मचारी आपसे ओटीपी नहीं पूछता है।