भुखमरी की भट्ठी में झोकने पर उतारू है कोरोना वायरस, जान के साथ नौकरियों पर भी खतरा

कोविड 19 इस वक्त दुनियाभर में ग्लोबल हेल्थ इश्यू बना हुआ है। संपर्क सीमित करने के साथ दुनिया के 'क्वारैंटाइन मोड' में जाने से बाजार सुस्त हुए हैं और अर्थव्यवस्थाएं हांफ रही हैं। 

मुंबई। कोरोना वायरस (कोविड 19) की वजह से पूरी दुनिया पर संकट के बादल मंडरा पड़े हैं। चीन के वुहान से पनपे वायरस की चपेट में न सिर्फ लोगों का स्वास्थ्य उनकी जिंदगी है बल्कि उससे कहीं आगे बढ़कर चीजों को तबाह करने पर उतारू है। भारत समेत दुनिया के बाज़ारों में साफ असर दिख रहा है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ने कहा भी कि ग्लोबल क्राइसिस की वजह से ढाई करोड़ नौकरियों संकट में हैं। 
 
कोविड 19 इस वक्त दुनियाभर में ग्लोबल हेल्थ इश्यू बना हुआ है। संपर्क सीमित करने के साथ दुनिया के 'क्वारैंटाइन मोड' में जाने से बाजार सुस्त हुए हैं और अर्थव्यवस्थाएं हांफ रही हैं। ग्लोबल शेयर मार्केट का हाल बेहद बुरा है। स्टॉक मार्केट में जेफ बेजोस से मुकेश अंबानी तक कोरोना की वजह से कई अरब रुपये गंवा चुके हैं। 

#1. 2008 की मंदी से ज्यादा खतरनाक 
पिछड़े और विकासशील देशों की हालत बुरी है। मगर अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, और ब्रिटेन भी इससे पस्त हो गए हैं। आर्थिक एक्सपर्ट्स लगातार आशंका जता रहे हैं कि दुनिया 2008 की सुस्ती से कहीं ज्यादा नुकसान उठाने के रास्ते पर है। और इसका सीधा-सीधा असर न सिर्फ बड़े कारोबारियों बल्कि हर आम-खास पर पड़ेगा। 

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#2. काम के घंटे कम होंगे, कटेगी सैलरी 
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक ढाई करोड़ नौकरियां इसलिए खतरे में हैं क्योंकि दुनियाभर में अंडर एम्प्लॉयमेंट एक स्तर पर बहुत बढ़ सकता है। कोरोना की वजह से काम के घंटे कम होंगे और लोगों की सैलरी में कटौती की आशंका है। कोरोना के मामलों के बढ़ने के साथ दुनियाभर में 'क्वारैंटाइन मोड' का प्रसार ज्यादा हो रहा है। आवाजाही और संपर्क प्रतिबंधित किए जा रहे है इस वजह से आर्थिक सुस्ती की दिक्कत और बढ़ जाएगी।  

दुनियाभर में निवेश और निर्यात की कमी आएगी। जाहिर तौर पर इन तमाम चीजों के असर से असमानता की खाईं बढ़ेगी।  

#3. घर बाहर सब जगह एक जैसे हालात 
भारत समेत दुनिया के कई देशों में एविएशन, ट्रैवल, होटल और रिटेल जैसे सेक्टरों पर कोरोना ने करारा प्रहार किया है। भारत जैसे कई देशों ने खुद को दुनिया के संपर्क से अलग कर लिया है। अनुमान लगाया जा सकता है कि रेल, एविएशन, होटल बिजनेस पर इसके क्या मायने हैं। भारत समेत दुनिया के सभी देशों में ये संपर्क घरेलू स्तर पर भी कम हुआ है। जाहिर है हर तरफ से सिर्फ नुकसान ही नजर आ रहा है। 

#4. सरकारों की मदद से कितनी उम्मीद 
भारत समेत दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं ने चीजों को खराब होने से बचाने के लिए राहत पैकेजेज़ की घोषणा कर रही हैं। लेकिन 'क्वारैंटाइन मोड' की अवधि लंबी होने के साथ ही ये नाकाफी साबित होंगे। तमाम सेक्टर्स अभी से और ज्यादा रियायतों की मांग कर रहे हैं। कोरोना का जल्दी से जल्दी खत्म होना ही उपाय है। 

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