महाराष्ट्र में 65,000 करोड़ रुपये की लागत से एक प्रमुख बंदरगाह बनाने को सरकार की मंजूरी

Published : Feb 05, 2020, 05:49 PM IST
महाराष्ट्र में 65,000 करोड़ रुपये की लागत से एक प्रमुख बंदरगाह बनाने को सरकार की मंजूरी

सार

 सरकार ने बुधवार को महाराष्ट्र के दहानु के पास वधावन में एक नए प्रमुख बंदरगाह की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।  

नई दिल्ली. सरकार ने बुधवार को महाराष्ट्र के दहानु के पास वधावन में एक नए प्रमुख बंदरगाह की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।

 इस परियोजना की कुल लागत 65,544.54 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र में वधावन में एक नए प्रमुख बंदरगाह की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना पर 65,544.54 करोड़ रुपये की लागत आएगी।" वधावन बंदरगाह 'भू-स्वामित्व मॉडल' में विकसित किया जाएगा।

एक विशेष उद्देशीय इकाई (एसपीवी) स्थापित की जाएगी

जवाहर लाल नेहरू पोर्ट के साथ एक शीर्ष भागीदार के रूप में एक विशेष उद्देशीय इकाई (एसपीवी) स्थापित की जाएगी। जेएनपीटी की इस परियोजना को लागू करने में इक्विटी भागीदारी 50 प्रतिशत के बराबर या इससे अधिक होगी। बयान में कहा गया है कि एसपीवी कनेक्टिविटी स्थापित करने के अलावा भूमि सुधार, ब्रेक वॉटर के निर्माण सहित बंदरगाह बुनियादी ढांचे का विकास करेगा। सभी व्यापारिक गतिविधियां निजी डेवलपर्स द्वारा सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) तरीके से की जाएंगी।

(जेएनपीटी) भारत में सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह

जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) भारत में सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह है। इसका विश्व में 28वां स्थान है तथा इसकी माल ढुलाई क्षमता 51 लाख टीईयू (20-फुट इक्वेलेंट यूनिट्स) है। वर्ष 2023 तक एक करोड़ टीईयू की क्षमता वृद्धि करने वाले चौथे टर्मिनल के पूरा होने के बाद जवाहर लाल नेहरू पोर्ट विश्व में 17वां सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होगा। वधावन बंदरगाह के विकास के बाद भारत विश्व के शीर्ष 10 कंटेनर बंदरगाह वाले देशों में शामिल हो जाएगा।

महाराष्ट्र में देश का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह जेएनपीटी में है। यह महाराष्ट्र, उत्तर कर्नाटक, तेलंगाना के आंतरिक भूक्षेत्रों और गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, एनसीआर, पंजाब और उत्तर प्रदेश के द्वितीयक भूर्क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करता है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
 

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