पेड़ों को गिरवी रख कर बैंकों से ब्याज मुक्त कर्ज ले सकते हैं किसान, केरल में शुरू हुई अनोखी पहल

वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए केरल के वायनाड जिले के एक पंचायत में एक खास परियोजना शुरू की गई है। इसके तहत किसान अपने पेड़ों को गिरवी रख कर बैंकों से ब्याज मुक्त कर्ज ले सकते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 22, 2020 11:08 AM IST / Updated: Oct 22 2020, 05:17 PM IST

बिजनेस डेस्क। वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए केरल के वायनाड जिले के एक पंचायत में एक खास परियोजना शुरू की गई है। इसके तहत किसान अपने पेड़ों को गिरवी रख कर बैंकों से ब्याज मुक्त कर्ज ले सकते हैं। इस योजना को अंतिम रूप केरल सरकार के वित्त मंत्री टीएम थॉमस इसाक ने दिया। वायनाड जिले के मीनांगडी पंचायत में मंगलवार को स्थानीय विधायक सीके ससींद्रन ने ट्री बैंक में एक किसान को 5,000 रुपए का चेक देकर योजना की शुरुआत की। 

फरवरी 2018 में की गई थी घोषणा
इस योजना के बारे में फरवरी 2018 में ही घोषणा की गई थी। पेरिस में आयोजित पर्यावरण सुरक्षा सम्मेलन से लौटने के बाद वित्त मंत्री टीएम थॉमस इसाक ने वायनाड जिले ते मीनांगडी पंचायत में इसे शुरू करने की रूपरेखा बनाई की। केरल सरकार ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करने वाले लोगों के साथ मिल कर इसे प्रायोजित किया था। इस पंचायत में करीब 33 हजार लोगों ने भागीदारी की थी। 

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ग्रामीणों में बढ़ रही है जागरूकता
मंत्री टीएम थॉमस इसाक का कहना है कि ट्री बैंक यानी किसानों के पेड़ बंधक रख कर उन्हें बिना ब्याज का लोन दिए जाने की योजना से किसानों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अगर हवा और पानी प्रदूषित हो जाता है और समय पर वर्षा नहीं होती है तो उष्णकटिबंधीय वर्षा वन या पश्चिमी घाट को बचा पाना संभव नहीं हो सकेगा। 

ट्री बैंक की योजना
मंत्री टीएम थॉमस इसाक का कहना है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ट्री बैंक की योजना को सामने लाया गया है और इसे लोगों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। पंचायत की प्रमुख बीना विजयन ने कहा कि अगर कोई किसान अपनी जमीन पर 100 पेड़ लगाने का वादा करता है, तो बैंक उसे 10 साल के लिए प्रति वर्ष कर्ज के रूप में भुगतान करेगा। जब ऋण का ब्याज पंचायत द्वारा भुगतान किया जाता है, तो किसान को केवल मूल धन का भुगतान करना होता है। वहीं, अगर वह पेड़ों को नहीं काटना चाहता है, तो कर्ज नहीं चुकाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मीनांगडी वित्तीय सहयोग के लिए 10 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। किसानों को कर्ज पर ब्याज का भुगतान करने के लिए जमा पर ब्याज का उपयोग किया जाता है। पंचायत प्रमुख ने कहा कि अब तक 184 किसानों को दो समूहों में कर्ज दिया जा चुका है। वहीं, मीनांगडी में कार्बन न्यूट्रल प्रोग्राम के तहत रूम एरोबिक कम्पोस्ट स्थापित किया गया है। 

1.57 मिलियन एकड़ में लगाए गए बागान
मीनांगडी पंचायत की प्रमुख बीना विजयन ने दावा किया कि पंचायत ने करीब 1.57 मिलियन एकड़ जमीन में बागान लगवाया है। इसकी टैगिंग सॉफ्टवेयर के जरिए की जाएगी और उस पर नजर रखी जाएगी। विजयन ने कहा कि पंचायत ने पेड़ों की 34 प्रजातियों को सूचीबद्ध किया है। इन्हें किसान अपनी जमीन पर लगा सकते हैं। इनमें आम, देवदार और अखरोट के पेड़ शामिल हैं। सागौन और शीशम जैसे पेड़ परियोजना में शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादा जोर फलदार पेड़ लगाए जाने पर है। इससे भविष्य में फलों का व्यवसाय संभव होगा, जिससे किसानों को काफी लाभ होगा। मुख्य रूप से यह योजना पर्यावरण की सुरक्षा के लिए चलाई जा रही है।  

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