जानकारों की मानें तो अगर सरकार ने अपनी एक्सपोर्ट पॉलिसी पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले कुछ महीनों में सरकार को महंगे दामों में गेहूं का आयात करना होगा। जिसकी वजह से भारत के राजकोषिय घाटे पर दबाव साफ देखने को मिलेगा।
बिजनेस डेस्क। भारत में आने वाले महीनों में महंगाई दर में और इजाफा देखने को मिल सकता है। मौजूदा समय में क्रूड ऑयल, पाम क्रूड, इलेक्ट्रिसिटी और फल सब्जियों की कीमतों की वजह से महंगाई में इजाफा देखने को मिला है। आने वाले दिनों में गेहूं के दाम इसका अहम कारण बन सकते हैं। इसकी वजह भी है। वो यह है यूक्रेन-रूस वॉर की वजह से दुनिया के दो सबसे बड़े गेहूं निर्यातकों के बीच ठनी हुई है। जिसका बोझ दुनिया के बाकी गेहूं उत्पादक देशों पर आ गया है। गेहूं की सप्लाई के साथ प्रोडक्शन कम होने के कारण ग्लोबली गेहूं की कीमत में इजाफा देखने को मिला है। जिसका असर भारत पर भी साफ तौर पर देखा जा रहा है। जानकारों की मानें तो अगर सरकार ने अपनी एक्सपोर्ट पॉलिसी पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले कुछ महीनों में सरकार को महंगे दामों में गेहूं का आयात करना पड़ सकता है। जिसकी वजह से भारत के राजकोषिय घाटे पर दबाव साफ देखने को मिलेगा।
करना पड़ सकता है आयात
ओरिगो कमोडिटीज के सीईओ बृजराज सिंह के अनुसार भविष्य की विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को गेहूं निर्यात को लेकर फिर से विचार करने की जरुरत है। अभी गेहूं का निर्यात चल रहा है लेकिन 5-6 महीने के बाद हो सकता है कि भारत को गेहूं का आयात दोगुने भाव पर करना पड़े। उनके अनुसार इस समय देश में गेहूं की सप्लाई काफी कम है और कारोबारियों को भी गेहूं नहीं मिल पा रहा है। उत्पादन में कमी और सरकार के द्वारा पीएमजीकेएवाई योजना को अगले 6 महीने के लिए बढ़ाने की वजह से देश में गेहूं की किल्लत हो सकती है। इसके साथ ही अगर कहीं कोविड की लहर फिर से आ गई तो सरकार के पास गरीबों को बांटने के लिए गेहूं का स्टॉक भी नहीं बचेगा।
यह भी पढ़ेंः- Russia-Ukraine war ने बढ़ाई भारत के गेहूं की ताकत, दुनियाभर में बढ़ी मांग, कीमतें स्थिर रखने में की मदद
खड़ा हुआ सवाल
वहीं दूसरी ओर एक सवाल और खड़ा हो गया है कि सरकारी गेहूं खरीद का टारगेट कैसे पूरा होगा? वास्तव में ओपन मार्केट में गेहूं की डिमांड ज्यादा हो गई है। किसानों को ओपन मार्केट में सरकारी एमएसपी से ज्यादा प्राइस गेहूं के मिल रहे हैं। जिसकी वजह से कसान भी ओपन मार्केट को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। प्राइवेट कंपनियों की ओर से ज्यादा खरीद के कारण सरकार के टारगेट के मुकाबले खरीद काफी कम हुई है। अधिकतर सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है। अनुमान लगाया लगाया जा रही है कि मौजूदा वर्ष में सिर्फ 300 लाख मीट्रिक टन सरकारी खरीद हो सकती है जो सरकारी खऱीद 444 लाख मीट्रिक टन के टार्गेट के सामने काफी कम है।
यह भी पढ़ेंः- भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा, गेहूं निर्यात में 273 फीसदी का इजाफा
प्रोडक्शन में आ सकती है कमी
गेहूं की फसल तैयार होने के समय में सामान्य तापमान और लंबे समय तक शुष्क रहने की वजह से गेहूं की फसल की यील्ड पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसका असर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में ज्यादा देखने को मिला है। बृजराज सिंह के अनुसार फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन पूर्व अनुमान 111.3 मिलियन मीट्रिक टन की तुलना में घटकर 95-100 मिलियन मीट्रिक टन रहेगा, जो वर्ष 2021-22 के 109.5 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले काफी कम है।
यह भी पढ़ेंः- रूस-यूक्रेन वॉर पंजाब की गेहूं की बिक्री को कैसे कर रहा है प्रभावित
सरकारी खरीद में गिरावट
- 17 अप्रैल तक गेहूं की खरीद 69.24 लाख मीट्रिक टन तक हो चुकी है जो कि सालाना आधार पर 39 फीसदी कम है।
- एक साल पहले समान अवधि में 102 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी।
- मध्यप्रदेश में 8.99 लाख मीट्रिक टन और पंजाब में 32.17 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है।
- हरियाणा में 27.76 लाख मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश में 0.30 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।
- 1 अप्रैल 2022 तक भारत सरकार के पास गेहूं का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक सालाना आधार पर 30.4 फीसदी और मासिक आधार पर 19 फीसदी कम रहकर 18.99 मिलियन मीट्रिक टन दर्ज किया गया था ,जो 20.5 मिलियन मीट्रिक टन के अनुमान से भी काफी कम है।
यह भी पढ़ेंः- तीन हजार रुपए तक पहुंच सकता है गेहूं का भाव, ये हैं बड़ी वजह
इस साल निर्यात में होगा इजाफा
- वित्त वर्ष 2022-23 में भारत से गेहूं का निर्यात 10-15 मिलियन मीट्रिक टन के दायरे में हो सकता है।
- भारतीय व्यापारियों ने अप्रैल से जुलाई की अवधि के दौरान पहले ही 3-3.5 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं निर्यात का अनुबंध कर लिया है।
- बंदरगाहों से निकटता और आसान आवाजाही की वजह से गेहूं की अधिकतम मात्रा गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भेजी जाएगी।
- मिस्र ने भारत को गेहूं आपूर्तिकर्ता के तौर पर मंजूरी दी है, मिस्र 10 लाख टन गेहूं का आयात भारत से करेगा।
- गौरतलब है कि अप्रैल के महीने में मिस्र को 2,40,000 टन गेहूं की जरूरत है।
- अभी तक मिस्र गेहूं का सबसे ज्यादा आयात यूक्रेन और रूस से करता आया है, लेकिन मौजूदा हालात में उसने भारत को प्रमुख आपूर्तिकर्ता के तौर पर चुना है।
- 2022-23 के लिए भारत का गेहूं निर्यात 10-15 मिलियन मीट्रिक टन के दायरे में रहेग।