इंफोसिस ने HR से कहा-भारतीय मूल के लोगों और बच्चों वाली महिलाओं को न दें जॉब, अमेरिकी कोर्ट में देना होगा जवाब

इंफोसिस ने अमेरिका स्थित अपने ऑफिस की एचआर से कहा कि भारतीय मूल के लोगों और बच्चों वाली महिलाओं को नौकरी नहीं देनी है। इंफोसिस को अपने भेदभाव वाले रवैये के लिए कोर्ट में जवाब देना होगा। 

न्यूयॉर्क। भारत की आईटी कंपनी इंफोसिस ने अमेरिका स्थित अपने ऑफिस की एचआर से कहा कि भारतीय मूल के लोगों और बच्चों वाली महिलाओं को नौकरी नहीं देनी है। यह मामला अमेरिकी कोर्ट में है। अब इंफोसिस को अपने भेदभाव वाले रवैये के लिए कोर्ट में जवाब देना होगा। 

इंफोसिस में टैलेंट एक्विजिशन की पूर्व वाइस प्रेसिडेंट जिल प्रेजीन ने अमेरिकी कोर्ट को बताया कि उन्हें इंफोसिस द्वारा भारतीय मूल के लोगों, बच्चों वाली महिलाओं और 50 या उससे अधिक उम्र के उम्मीदवारों को काम पर रखने से बचने के लिए कहा गया था। यह दूसरी बार है जब भारतीय आईटी कंपनी पर अमेरिका में कर्मचारियों को काम पर रखने के तरीकों में भेदभाव के आरोप लगे हैं।

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कोर्ट ने खारिज किया इंफोसिस का प्रस्ताव
न्यूयॉर्क के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने शुक्रवार को इंफोसिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इंफोसिस ने कोर्ट से कहा था कि जिल प्रेजीन द्वारा दायर मुकदमे को खारिज कर दिया जाए। प्रेजीन ने इंफोसिस के पूर्व सीनियर वीपी व कंसल्टिंग हेड मार्क लिविंगस्टन और पूर्व भागीदारों डैन अलब्राइट व जेरी कर्ट्ज के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। जिल प्रेजीन ने इन्फोसिस पर उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से बर्खास्त करने का आरोप लगाया है। प्रेजीन ने कहा कि कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कर्मचारियों को काम पर रखने की अवैध मांगों का पालन करने पर आपत्ति जताने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया। 

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बता दें कि इन्फोसिस ने जिल प्रेजीन को अपनी कंपनी के कंसल्टिंग डिवीजन में वीपी के रूप में रखा था। प्रेजीन 2018 में इन्फोसिस से जुड़ी थीं तब उनकी उम्र 59 वर्ष थी। उनका काम "हार्ड-टू-फाइंड एक्जीक्यूटिव" की भर्ती करना था। प्रेजीन ने कंपनी में उम्र और लिंग को लेकर भेदभाव बरतने का आरोप लगाया है। शिकायत में प्रेजीन ने बताया कि उन्होंने इन्फोसिस ज्वाइन करने के दो महीने के भीतर भेदभाव की संस्कृति को बदलने की कोशिश की, लेकिन इन्फोसिस के भागीदारों जेरी कर्ट्ज और डैन अलब्राइट से इसका विरोध किया। कोर्ट ने इन्फोसिस के अधिकारियों को 30 सितंबर को आदेश की तारीख से 21 दिनों के भीतर आरोपों का जवाब देने को कहा है।

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