वर्ष 1947 में भारत का पहला ऐतिहासिक बजट पेश किया गया था। तब से देश में कई ऐतिहासिक बजट पेश हुए जिसने देश की अर्थव्यवस्था को बदल दिया। आज सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024 का बजट पेश करेंगी। जानें भारत में पेश किए गए 5 ऐतिहासिक बजट…
बिजनेस डेस्क। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई यानी आज दिन में 11 बजे लोकसभा में केंद्रीय बजट 2024 पेश करेंगी। इस बार के बजट सत्र में कर्मचारियों को काफी उम्मीदें हैं। बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त 2024 तक चलेगा। स्वतंत्र भारत से अब तक देश में कई ऐतिहासिक बजट पेश किए गए हैं। आज जानते हैं वे ऐतिहासिक बजट जो भारत के इतिहास में अब तक याद किए जाते हैं।
1947 में पेश किया पहला बजट
स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट 1947 में पेश किया गया था। वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने ये बजट पेश किया था। तब से, देश ने कई ऐतिहासिक बजट देखने को मिले जिसने देश की अर्थ व्यवस्था को नया आकार दिया। आइए देखते हैं ये ऐतिहासिक बजट…
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1957-58 बजट
वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1957-58 में बजट पेश कर अर्थव्यवस्था को नया आयाम दिया था। इस बजट में संपत्ति कर समेत कई टैक्स सुधार पेश किए गए। इस बजट में पहली बार टैक्स को व्यक्ति की कुल निजी संपत्ति पर लगाया गया था। यह भारतीय कर नीति में महत्वपूर्ण बदलाव था। 2015 में संपत्ति कर समाप्त कर दिया गया था।
मनमोहन सिंह का 1991 का बजट
वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की ओर से पेश 1991 के केंद्रीय बजट का उद्देश्य देश का आर्थिक संकट दूर करना था। मनमोहन सिंह एक अर्थशास्त्री भी थे और उन्होंने आयात निर्यात नीति में सुधार को लेकर कई निर्णय लिया। उन्होंने बजट में सीमा शुल्क 220 प्रतिशत से घटाकर 150 फीसदी कर दिया। इससे विश्व स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा और बढ़ गई। उन्होंने सरकारी नियंत्री को कम करने के लिए उदार नीतियां भी पेश कीं।
1997 का ड्रीम बजट
1997 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम की ओर से पेश बजट को ड्रीम बजट कहा गया था। इसमें निजी इनकम टैक्स स्लैब और कॉर्पोरेट कर को कम किया गया था। दोनों ही करों में कटौती की गई थी। निजी कर 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर दिया गया था।
2000-2001 का बजट
अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में वित्त मंत्री यशवन्त सिन्हा ने बजट में नई क्रांति लाई थी। इन्होंने कंप्यूटर समेत 21 वस्तुओं पर सीमा शुल्क कम कर आईटी क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया था। इससे आईटी उद्योग में काफी तेजी आई थी। कंप्यूटर इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिला था।
2017-2018 का बजट
वर्ष 2017-18 में अरुण जेटली ने केंद्रीय बजट और रेलवे बजट का मर्ज कर प्रस्तुत कर ऐतिहासिक बदलाव किया था। इसके तहत 92 वर्षों से चली आ रही लंबी परंपरा का अंत हुआ था। वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली ने एकीकृत बजट पेश करके इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया, जो तब से मानक अभ्यास बन गया है।