Budget: मोबाइल, इंटरनेट बंद...बाहरी दुनिया से दूर फाइनेंस मिनिस्ट्री के कर्मचारी

बजट बनाने की प्रक्रिया में जितने भी अधिकारी-कर्मचारी शामिल होते हैं, उन्हें बजट आने तक लॉक इन में ही रहना होता है। एक तरह से वे सभी नजरबंद रहते हैं। इस दौरान उनका संपर्क बाहरी दुनिया से नहीं रहता है।

बिजनेस डेस्क : 23 जुलाई को देश का फुल बजट पेश होगा। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) लगातार 7वीं बार देश का बजट पेश करेंगी। इससे पहले मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट (Budget 2024) का हलवा सेरेमनी की शुरुआत हुई। मंगलवार को हलवा सेरेमनी के साथ बजट को फाइनल टच देने की प्रॉसेस शुरू हो गई। इस पीरियड को लॉक इन प्रॉसेस (Lock in Process) कहा जाता है। अब करीब एक हफ्ते तक फाइनेंस मिनिस्ट्री के चुनिंदा अधिकारी और कर्मचारी मोबाइल, इंटरनेट और बाहरी दुनिया से दूर नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही रहेंगे। बजट लीक होने से बचाने के लिए ऐसा होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं क्या है यह पूरी प्रक्रिया और अब सभी कर्मचारी कब घर जा सकेंगे...

लॉक इन प्रॉसेस क्या है

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बजट बनाने की प्रक्रिया में जितने भी अधिकारी-कर्मचारी शामिल होते हैं, उन्हें बजट आने तक लॉक इन में ही रहना होता है। एक तरह से वे सभी नजरबंद रहते हैं। इस दौरान उनका संपर्क बाहरी दुनिया से नहीं रहता है। संसद में बजट पेश होने के बाद ही ये अपनी फैमिली और दोस्तों से मिल सकते हैं। बजट प्रिंट करने के लिए नॉर्थ ब्‍लॉक में ही एक प्रेस है, जहां बजट बनाने वाले सभी अधिकारी-कर्मचारी रहते हैं।

कितने कर्मचारी बाहरी दुनिया से दूर रहते हैं

देश के वित्त मंत्री अनुच्छेद 112 के तहत हर साल देस का बजट पेश करते हैं। इसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए बजट में शामिल करीब 100 कर्मचारी-अधिकारी बजट पेश होने तक परिवार और बाहरी दुनिया से दूर रहते हैं। इस दौरान वे न तो मोबाइल चला सकते हैं, न ही इंटरनेट। ईमेल या बाहर से संपर्क करने के किसी माध्यम की अनुमति नहीं होती है। इन सभी पर खुफिया विभाग अपनी नजर बनाए रखता है।

बजट बनाने की प्रक्रिया में कौन-कौन शामिल होता है

बजट बनाने में कौन-कौन शामिल होगा, इसका खुलासा नहीं किया जाता है। हर तरह से जांच-पड़ताल के बाद ही करीब 100 अधिकारी-कर्मचारी को बजट बनाने के काम पर लगाया जाता है और उन्हें नॉर्थ ब्लॉक में एक खुफिया जगह रखा जा सकता है। कुछ जानकारों का कहना है कि बजट प्रिंटिंग रूम में सिर्फ एक लैंडलाइन फोन होता है, जिसमें सिर्फ इनकमिंग की सुविधा होती है। ताकि इमरजेंसी में घर और परिवार से बात हो सके। हालांकि, उनकी बात सुनने के लिए खुफिया विभाग हमेशा सतर्क रहता है। वहां डॉक्टरोंकी टीम भी मौजूद रहती है।

हर चीज पर रहती है खुफिया विभाग की नजर

बजट बनने के दौरान खुफिया विभाग (IB) के अधिकारी हर चीज पर नजर रखते हैं। वित्त मंत्रालय आने-जाने वाले हर किसी की निगरानी की जाती है। सभी कर्मचारी-अधिकारी सीसीटीवी की नजर में रहते हैं। अगर किसी इमरजेंसी में कोई अधिकारी-कर्मचारी गुप्त कमरे से बाहर आता है तो इंटेलिजेंस विभाग और दिल्ली पुलिस उसके साथ रहती है। उन्हें जो खाना दिया जाता है, उसकी भी बारीकि से जांच होती है। बजट डॉक्यूमेंट्स में यूज होने वाला हर कागज आईबी की देखरेख में ही प्रिंटिंग प्रेस तक पहुंचता है। बजट वाले दिन लोकसभा में इसके पेश होने के बाद ही नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट से अधिकारी-कर्मचारी घर जाते हैं।

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