राजघाट पर जिस जगह पीएम मोदी सभी विदेशी नेताओं का अभिवादन किया उसका बैकग्राउंड साबरमती आश्रम का था। शनिवार को भारत मंडपम में विदेशी नेताओं की स्वागत वाली जगह कोणार्क चक्र और रात में डिनर के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय का मॉडल बना था।
बिजनेस डेस्क : जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit 2023) में शामिल होने आए सभी विदेशी नेता रविवार की सुबह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पहुंचे और उनको नमन किया। राजघाट पर पीएम मोदी ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 के सभी लीडर्स को खादी का अंगवस्त्रम पहनाकर उनका अभिवादन किया। जिस जगह पीएम मोदी सभी विदेशी नेताओं का सम्मान कर रहे थे, उसके पीछे साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) का बैकड्रॉप था। इससे पहले शनिवार को भारत मंडपम में विदेशी नेताओं की स्वागत वाली जगह कोणार्क का चक्र और रात में डिनर के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय का मॉडल बना था। जी20 के इन तीनों बैकड्रॉप की अपनी कहानी है और उनका उद्देश्य भी गहरा है। जानें जी20 के बैकड्रॉप्स के आखिर क्या मायने हैं...
साबरमति आश्रम
राजघाट पर प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले सभी विदेशी मेहमानों को खादी का अंगवस्त्र पहनाकर उनका स्वागत किया इसके बाद उन्हें साबरमती आश्रम की जानकारी दी। बता दें कि साबरमती आश्रम की कुटी से ही भारत की आजादी का आंदोलन शुरू हुआ था। यह आश्रम महात्मा गांधी ने बनवाया था। इसके बाद साबरमती आश्रम उस आदर्श का प्रतीक बन गया, जिससे भारत आजाद हुआ। साबरमती आश्रम आज भी प्रेरणा और मार्गदर्शन स्त्रोत के तौर पर सेवा करता है।
कोणार्क चक्र
इससे पहले शनिवार को पीएम मोदी जब जी20 शिखर सम्मेलन में आए विदेशी नेताओं का स्वागत कर रहे थे, तब वहां बैकग्राउंड में ओडिशा के मशहूर कोणार्क मंदिर का सूर्य चक्र बना हुआ था। सबसे पहले पीएम मोदी ने सभी नेताओं का स्वागत किया और उन्हें कोणार्क चक्र के बारें में बताया। यह चक्र हमेशा आगे बढ़ने और विकास का प्रतीक माना जाता है। यह भारत के गौरवमयी इतिहास की गाथा भी बताता है।
नालंदा विश्वविद्यालय
वहीं, भारत मंडपम में जब शनिवार रात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से डिनर का आयोजन हुआ, तब वेलकम स्टेज का बैकड्रॉप नालंदा विश्वविद्यालय का था। यहां नालंदा की झलक दिखाई गई। पीएम मोदी ने जी-20 के कुछ लीडर्स को नालंदा विश्वविद्यालय का महत्व बताया। राष्ट्रपति मुर्मू भी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत कई जी20 लीडर्स को नालंदा विश्वविद्याल के बारें में बताते हुए दिखीं। बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत की प्रगति का प्रतीक है। यह बताता है कि हमारा इतिहास कितना समृद्ध था और भारत का इतिहास कितना गौरवमयी है।
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