
EPFO Contribution Rules Explained : अगर आप सैलरीड पर्सन है और आपकी सैलरी से PF (Provident Fund) कटता है, तो आपके मन में भी एक सवाल जरूर आता होगा, 'जब मेरी सैलरी से 12% कट रहा है, कंपनी भी 12% देती है, फिर भी पीएफ बैलेंस में उतना क्यों नहीं दिखता?' आखिर एम्प्लॉयर का जो पैसा कटता है, उसका हिसाब कहां जाता है? आइए एकदम सिंपल तरीके से जानते हैं यह पूरा सिस्टम कैसे काम करता है?
EPFO (Employees' Provident Fund Organisation) की पूरी राशि 3 हिस्सों में जाती है। पहला EPF (Provident Fund), जो बचत के लिए है। दूसरा EPS (Pension Scheme), जो रिटायरमेंट पेंशन के लिए है और तीसरा EDLI, जो इंश्योरेंस के लिए है।
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जितना एम्प्लॉई देगा, उतना ही एम्प्लॉयर भी देगा
अगर आपकी बेसिक सैलरी से 2,000 रुपए पीएफ के लिए कट रहे हैं, तो आपकी कंपनी को भी 2,000 रुपए देने होते हैं। यानी कुल 4,000 रुपए हर महीने आपके पीएफ अकाउंट में जमा होते हैं, जिस पर ब्याज भी मिलता है।
कर्मचारी की पूरी राशि EPF में जाती है, कंपनी की तीन हिस्सों में बंटती है
ईपीएफ में आपकी बेसिक सैलरी (Basic Pay + DA) का 12% और 12% कंपनी का जाता है, लेकिन कंपनी की पूरी राशि पीएफ में नहीं जाती। आपके पूरे 12% EPF अकाउंट में ही जमा होता है, यानी उसका हिस्सा पेंशन या बीमा में नहीं जाता। वहीं, कंपनी के 12% तीन हिस्सों में बंटते हैं। 8.33% एम्प्लॉयर की सैलरी का EPS (Employees’ Pension Scheme), 3.67% EPF (Provident Fund) और 0.5%-1% तक EDLI और एडमिन चार्ज भी होता है। जैसे अगर कंपनी 2,000 रुपए कंट्रीब्यूट कर रही है तो 611 रुपए के आसपास ही EPF में जाएगा और बाकी EPS में।
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आप अपने EPF अकाउंट में कर्मचारी और एम्प्लॉयर दोनों का योगदान EPFO पोर्टल या UMANG ऐप से चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको EPFO पोर्टल epfindia.gov.in पर लॉगिन करना होगा। इसके अलावा EDLI (बीमा) के लिए कंपनी अलग से 0.5% देती है। एडमिन चार्ज भी कंपनी के हिस्से में आते हैं। ये सभी आपके पीएफ पासबुक में नहीं दिखते लेकिन आपके लिए सुरक्षा का हिस्सा हैं।
EPF अकाउंट पर हर साल ब्याज भी मिलता है, जो टैक्स फ्री होता है। EPS में जमा पैसा रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में मिलता है। वहीं, EDLI के तहत कर्मचारी की अगर अचानक मौत हो जाती है तो 7 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस बेनिफिट मिलता है।