अजीबोगरीब किस्साः माता-पिता के होते हुए भी अनाथालय क्यों भेजे गए थे रतन टाटा

माता-पिता के होते हुए भी रतन टाटा अनाथालय भेजे गए, बाद में उनकी दादी ने उन्हें पाला। उनका बचपन कई तरह दर्द से गुजरा है। 10 साल की उम्र में ही उनके माता-पिता का तलाक हो गया था।

 

बिजनेस डेस्क : दिग्गज उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन का 86 साल की उम्र में निधन (Ratan Tata Death) हो गया है। वह एक जिंदादिल और खुशमिजाज इंसान थे. उनकी कहानी हर किसी के लिए इंस्पायरिंग है। दुनिया से जाते-जाते भी उन्होंने कहा- 'मैं पूरी तरह ठीक हूं, किसी को डरने की जरूरत नहीं है।' उनकी लाइफ के कई दिलचस्प किस्से हैं लेकिन उन्होंने कई दर्द भी झेले। जिस लड़की से प्यार करते थे, उससे शादी नहीं हुी तो जीवनभर कुंवारे रहें। उनका बचपन दर्द से भरा था। माता-पिता के होते हुए और अमीर परिवार में जन्म लेने के बावजूद उनका बचपन एक अनाथालय में बीता। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आई।

दादी ने रतन टाटा को पाला

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रतन टाटा के बचपन की कहानी दर्द भरी है। 28 दिसंबर, 1937 को उनका जन्म हुआ। उनके पिता का नाम नवल टाटा था। जब रतन टाटा सिर्फ 10 साल के थे, तभी उनके माता-पिता का तलाक हो गया। बेटे की देखभाल कौन करेगा, इसको लेकर पति-पत्नी में झगड़ा शुरू हो गया। इसके बाद दोनों ने बेटे रतन टाटा को जेएन पेटिट पारसी अनाथालय में छोड़ आए। यह देखकर उनकी दादी, नवाजबाई टाटा ने रतन टाटा को गोद लिया और उन्हें पाला। तब तक उनके पिता नवल टाटा ने दूसरी शादी कर ली थी। दूसरी पत्नी से उन्हें एक बेटा नोएल टाटा हुए। रतन और नोएल साथ-साथ बड़े हुए।

रतन टाटा की फैमिली का इतिहास

1. नुस्सरवानजी टाटा (1822–1886)

वह एक पारसी पादरी थे, जिन्होंने कारोबार शुरू किया और परिवार के भविष्य की नींव रखी।

2. जमशेदजी टाटा (1839–1904)

नुस्सरवानजी टाटा के बेटे और टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा को भारतीय उद्योग का जनक भी माना जाता है। उन्हों स्टील (टाटा स्टील), होटल (ताज होटल) और हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी जैसे प्रमुख उद्योग लगाए।

3. दोराबजी टाटा (1859–1932)

जमशेदजी टाटा के सबसे बड़े बेटे दोराबजी टाटा ने पिता के निधन के बाद टाटा ग्रुप की कमान संभाली। उन्होंने टाटा स्टील और टाटा पावर जैसे अन्य प्रमुख कारोबार को आगे बढ़ाया।

4. रतनजी टाटा (1871–1918)

जमशेदजी टाटा के सबसे छोटे बेटे रतनजी टाटा ने टाटा ग्रुप के कॉटन और टैक्सटाइल बिजनेस का काफी विस्तार किया।

5. जेआरडी टाटा (1904–1993)

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, रतनजी टाटा के बेटे थे। उन्होंने 50 सालों (1938-1991) तक टाटा ग्रुप की कमान संभाली। टाटा एयरलाइंस के फाउंडर थे, जो बाद में एयर इंडिया बनी। जेआरडी टाटा ने टाटा ग्रुप को मल्टीनेशन ग्रुप बनाने में अहम भूमिका निभाई।

6. नवल टाटा (1904–1989)

रतनजी टाटा के दत्तक पुत्र नवल टाटा ने भी टाटा ग्रुप को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाई। रतन टाटा उन्हें के बेटे थे। जिन्होंने टाटा ग्रुप को ऊंचाईयों पर पहुंचाया।

7. रतन टाटा (1937–2024)

नवल टाटा के बेटे रतन टाटा का जन्म 1937 में हुआ था। उन्होंने टाटा ग्रुप को दुनियाभर में ब्रांड बनाने का काम किया। एअर इंडिया और फोर्ड के लग्जरी कार ब्रांड लैंडरोवर-जगुआर को कंपनी के पोर्टफोलियो में जोड़ा। रतन टाटा 1991 से 2012 तक 22 साल ग्रुप के चेयरमैन रहे। 2016 से 2017 तक टाटा ग्रुप के अंतरिम चेयरमैन रहे।

8. नोएल टाटा (1957)

रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा अपने ग्रुप के रिटेल बिजनेस ट्रेंट के प्रेसीडेंट हैं। टाटा इंटरनेशनल और अन्य टाटा के बिजनेस में उनकी अहम भूमिका है। टाटा ग्रुप कई तरह के सामाजिक और परोपकार वाले काम से भी जुड़ा है। कई फाउंडेशन गरीबों, छात्रों की मदद कर रहा है।

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