वित्त वर्ष 2023-24 में 36,075 मामलों में 13,930 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ हैं। वहीं, 2022-23 13,564 मामलों में 26,127 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी खास तौर से क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट जैसे डिजिटल पेमेंट के चलते हुई है।
बिजनेस डेस्क. बीते कुछ सालों में ऑनलाइन और बैंकों से जुड़े धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एनुअल रिपोर्ट में बैंक फ्रॉड से जुड़े मामलों की जानकारी दी हैं। दरअसल, बीते वित्त वर्ष (2023-24) में ढाई गुना बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान धोखाधड़ी के मामलों की संख्या 36,075 हो गई। एक साल पहले यह संख्या 13,564 थी।
धोखाधड़ी से एक साल में 13,930 करोड़ रुपए का फ्रॉड
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 36,075 मामलों में 13,930 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ हैं। वहीं, वित्त वर्ष 13,564 मामलों में 26,127 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, धोखाधड़ी खास तौर से क्रेडिट/डेबिट कार्ड और इंटरनेट जैसे डिजिटल पेमेंट के चलते हुई है।
प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में धोखाधड़ी के ज्यादा मामले
बीते तीन सालों में फ्रॉड के मामलों में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने ज्यादा धोखाधड़ी के मामलों की जानकारी दी हैं। वहीं, फ्रॉड के मामलों में शामिल रकम में पब्लिक सेक्टर के बैंकों का योगदान ज्यादा रहा। पब्लिक सेक्टर के बैंकों में धोखाधड़ी खास तौर से लोन कैटेगरी का रहा है।
फ्रॉड का पता देरी से चलता है
वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान रिपोर्ट की गए फ्रॉड की घटनाओं के विश्लेषण के मुताबिक, घटना की तारीख और उसका पता लगाने के बीच एक लंबा अंतराल दिखता है। यानी फ्रॉड को पकड़ने में काफी समय लगता है।
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