Share market predicition: कौन-से फैक्टर इस हफ्ते शेयर मार्केट पर रहेंगे हावी, जानें कैसी होगी बाजार की चाल?

पिछले हफ्ते के आखिरी दिन BSE सेंसेक्स 282.88 अंकों की तेजी के साथ 64,363.78 अंक पर बंद हुआ। वहीं, NSE का निफ्टी भी 97.35 अंक की बढ़त के साथ 19,230.60 अंक पर क्लोज हुआ। अब निवेशकों के मन में सवाल है कि इस हफ्ते शेयर बाजार की चाल कैसी रहेगी?

Ganesh Mishra | Published : Nov 5, 2023 3:02 PM IST / Updated: Nov 05 2023, 08:34 PM IST

Share market predicition: पिछले हफ्ते के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को BSE सेंसेक्स 282.88 अंकों की तेजी के साथ 64,363.78 अंक पर बंद हुआ। वहीं, NSE का निफ्टी भी 97.35 अंक की बढ़त के साथ 19,230.60 अंक पर क्लोज हुआ। ऐसे में अब निवेशकों के मन में सवाल है कि इस हफ्ते शेयर बाजार की चाल कैसी रहेगी। आखिर वो कौन-से फैक्टर होंगे जो बाजार की दिशा तय करेंगे।

1- कंपनियों के तिमाही नतीजे

वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं। अब तक कई बड़ी कंपनियां अपने रिजल्ट घोषित कर चुकी हैं और मुनाफे में भी रही हैं। इस हफ्ते भी कई कंपनियों के तिमाही नतीजे आने हैं। इनमें HPCL, NHPC, IRCTC, पावर ग्रिड, Tata पावर, महिंद्रा एंड महिंद्रा, अशोक लेलैंड, कोल इंडिया, हिंडाल्को, एलआईसी, और टाटा केमिकल्स अपनी तिमाही नतीजों की घोषणा करेंगी। अगर इनके नतीजे अच्छे रहते हैं तो ये बाजार के लिए पॉजिटिव रहेगा।

2- डॉलर के मुकाबले रुपए की चाल

डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर भी निवेशकों की नजरें बनी रहेंगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर डॉलर की तुलना में रुपया मजबूत रहता है तो शेयर बाजार पर इसका सकारात्मक असर दिखेगा। इससे बाजार में निवेशकों की खरीदारी बढ़ सकती है।

3- विदेशी संस्थागत निवेशक (FII)

शेयर बाजार की तेजी या मंदी में सबसे ज्यादा असर विदेशी संस्थागत निवेशकों का होता है। अगर इस हफ्ते ये खरीदारी करते हैं तो इसका पॉजिटिव असर पड़ेगा। वहीं, बिकवाली बाजार को नकारात्मक दिशा में ले जा सकती है।

4- इजराइल-हमास जंग का असर

इजराइल-हमास के बीच चल रहे युद्ध की वजह से ग्लोवल लेवल पर भी सेंटिमेंट बिगड़ा हुआ है। हालांकि, इसका बहुत असर तो नहीं पड़ेगा लेकिन जब तक ये लड़ाई किसी निर्णायक मोड़ की तरफ नहीं बढ़ती, बाजारों पर एक दवाब जरूर देखने को मिल सकता है। इसके अलावा कच्चे तेल के दाम भी बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं। अगर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी रहती है तो इससे बाजार पर निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।

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