
US Pharma Company India Expansion: भारत की फार्मा इंडस्ट्री के लिए सोमवार को एक बड़ी खबर आई। अमेरिका की दवा कंपनी एली लिली (Eli Lilly) अगले कुछ सालों में भारत में 1 अरब डॉलर (लगभग 8,800 करोड़ रुपए) का निवेश करने वाली है। कंपनी का लक्ष्य भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई क्षमता बढ़ाना और लोकल दवा निर्माताओं के साथ पार्टनरशिप करना है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम सिर्फ व्यापार बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क का हिस्सा बनाने के लिए भी अहम है।
कंपनी हैदराबाद में एक नई फैक्ट्री और क्वालिटी सेंटर स्थापित करेगी। इसका मकसद है कि भारत में बनी दवाइयां ना सिर्फ देश में, बल्कि दुनियाभर में सप्लाई हों। नया सेंटर कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क की देखरेख करेगा और तकनीकी विशेषज्ञता देगा। यहां इंजीनियर्स, केमिस्ट्स, क्वालिटी कंट्रोल और मैनेजमेंट के लिए नई नौकरियां भी सामने आएंगी। एली लिली ने कहा कि वे जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू करेंगे।
एली लिली की यह प्लानिंग ग्लोबल दबाव और अमेरिकी पॉलिसी में बदलाव से जुड़ी है। अमेरिकी सरकार ने हाल ही में ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला लिया है। इसके चलते कंपनियां यूनाइटेड स्टेट्स में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ा रही हैं और साथ ही भारत जैसे भरोसेमंद मार्केट में निवेश कर रही हैं। इसके अलावा भारत की जेनरिक दवा कंपनियां भी तेजी से बढ़ रही हैं और एली लिली की पॉपुलैरिटी वजन घटाने वाली दवा मौंजारो (Mounjaro) के सस्ते विकल्प लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं। इस बीच एली लिली ने भारत में यह दवा लॉन्च की, जिससे मोटापे के इलाज के प्रति लोगों की अवेयरनेस बढ़ी है।
इस साल की शुरुआत में Eli Lilly ने भारत में Mounjaro लॉन्च की, जो वजन घटाने और डायबिटीज के इलाज में मदद करती है। इस दवा की ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी। मौन्जारो और नोवो नॉर्डिस्क (Novo Nordisk) की वेगोवी (Wegovy) ने मोटापे के इलाज की समझ और लोकप्रियता बढ़ाई। सिर्फ कुछ महीनों में इन दोनों दवाओं की सेल्स डबल हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत, दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी मोटापे की आबादी वाला देश बनने जा रहा है, ऐसे में यह दवा बाजार के लिए काफी अहम है।
एली लिली का यह कदम सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका और भारत के व्यापारिक रिश्तों के लिए भी अहम है। कंपनी ने ग्लोबल सप्लाई और मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क में भारत को अहम सेंटर बनाया है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह निवेश भारत में फार्मा सेक्टर में रोजगार बढ़ाएगा, दवाओं की उपलब्धता तेज करेगा और अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक सहयोग और भरोसा मजबूत करेगा।
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