भारत में कैसे और कितना लगाया जाता था विरासत टैक्स? जानें किसने-कब हटाया

कई विकसित देशों में आज भी विरासत टैक्स लगाया जाता है। भारत में इसे काफी समय पहले ही हटा दिया गया था। बता दें कि इन्हेरिटेंस टैक्स यानी विरासत कर की ब्याज आमतौर पर मिलने वाली विरासत की वैल्यू पर निर्भरत करती है।

Satyam Bhardwaj | Published : Apr 24, 2024 12:16 PM IST

बिजनेस डेस्क : करीब 40 साल पहले हट चुके विरासत टैक्स (Inheritance Tax) एक बार फिर चर्चा में है। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) ने अमेरिका की तरह भारत में भी इन्हेरिटेंस टैक्स की बात कही, जिसके बाद इस पर बहस छिड़ गई है। आज कई विकसित देशों में यह टैक्स लगाया जाता है। भारत में इसे काफी समय पहले ही हटा दिया गया था। बता दें कि इन्हेरिटेंस टैक्स यानी विरासत कर की ब्याज आमतौर पर मिलने वाली विरासत की वैल्यू पर निर्भरत करती है। यह संपत्ति कर से अलग होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर भारत में इस टैक्स को कैसे लगाया जाता था, इसे कब और किसने हटाया?

भारत में विरासत टैक्स किसने और कब हटाया

1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार में वित्त मंत्री रहे वीपी सिंह ने विरासत टैक्स को देश से हटा दिया था। उनका कहना था कि इस टैक्स का जो मकसद था, वह पूरा नहीं हो पाया है। इसे इस तर्क पर खत्म किया गया था कि इससे मिलने वाला लाभ असामानता को दूर करने में सक्षम नहीं था।

भारत में विरासत टैक्स कैसे लगता था

परिवार के मुखिया की मौत होने पर उसकी संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों को दी जाती थी, जिस पर विरासत टैक्स लगाया जाता था। संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 के तहत मृतक की संपत्ति के उत्तराधिकारियों को विरासत में जितनी संपत्ति मिली है, उसकी कुल मूल्य का 85 प्रतिशत तक संपत्ति शुल्क का भुगतान करना होता था। साल 1953 में संपत्ति कर लागू करने के बाद आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए देश में संपत्ति शुल्क अधिनियम लागू कर दिया गया था। इसके तहत 20 लाख से ज्यादा कि संपत्ति पर 85 प्रतिशत तक टैक्स बढ़ गया था। यह चल और अचल दोनों संपत्तियों पर लगता था।

भारत में आय असमानता कब कितनी रही

अर्थशास्त्रियों के एक विश्लेषण के अनुसार, देश में 1922 के बाद से आय असमानताएं चरम पर हैं। 1930 के दशक में कमाई करने वाले टॉप एक प्रतिशत लोगों की कुल आय में हिस्सेदारी 21 फीसदी से भी कम थी, जो 1980 के दशक में 6 फीसदी पर आ ग या। इसके बाद 2014 में 22 फीसदी तक पहुंची। क्रेडिट सुइस 2018 ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के डेटा के अनुसार, सबसे अमीर 1 प्रतिशत लोगों के पास 51.5 परसेंट और सबसे अमीर 10 फीसदी के पास देश की 77.4 फीसदी संपत्ति है। जबकि निचली 60 प्रतिशत आबादी के पास सिर्फ 4.7 प्रतिशत संपत्ति ही है।

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