पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत की गिरती अर्थव्यवस्था और मंदी के दौर पर सरकार को घेरा है। लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इन आरोपों का कोई जवाब नहीं दे पाईं।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के विलय के सरकार के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी में कटौती करना उनके बस में नहीं है। यह फैसला जीएसटी काउंसिल समिति के हाथ में है और समिति ही इसमें कटौती कर सकती है।
सीतारमण का यह बयान ठीक उस समय आया है जब विपक्ष जीडीपी में आई कमी को लेकर सरकार पर निशाना साध रहा है। वहीं बैंकों के विलय करने के फैसले का बचाव करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हम बैंकों से उनकी नीतियों में बदलाव करने को नहीं कह रहे हैं। उनको वही करना है जो वो करते आ रहे हैं। बल्कि विलय के जरिए हम बैंकों को अतिरिक्त पूंजी प्रदान कर रहे हैं, ताकि बैंक अपनी नीतियों का सही तरीके से क्रियान्वन कर सकें।
सीतारमण ने शुक्रवार को आर्थिक मंदी से निपटने के लिए 10 बैंकों के विलय की घोषणा की थी। उधर, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक वीडियो जारी कर सरकार पर गलत कदम उठाने गलत प्रबंधन को आर्थिक मंदी के लिए जिम्मेदार ठहराया था। मनमोहन सिंह ने जीएसटी और नोटबंदी को भी आर्थिक मंदी का बड़ा कारण बताया था। हालांकि, जब मनमोहन सिंह के सवाल पर निर्मला सीतारमण से पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 5 प्रतिशत रह गई है। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में विकास दर 5.8 प्रतिशत थी। पिछले 7 साल में यह जीडीपी की विकास दर सबसे कम है। इससे कम 2012 (अप्रैल-जून) में 4.9 प्रतिशत थी।