रतन टाटा के पर्सनल बिजनेस को संभालता है 27 साल का ये लड़का, इस बंदे की कहानी सबसे अलग


सड़कों पर मर रहे कुत्तों के जीवन को बचाने के लिए चमकीला कॉलर बनाने का काम कर रही संस्थान मोटोपॉज के शांतनु नायडू का जीवन भी बदल गया है। उनके इस सेवार्थ भाव को देख रतन टाटा ने शांतनु को अपने पर्सनल निवेश को संभालने की जिम्मेदारी दी है। पिछले दिनों ही शान्तनु ने  रतन टाटा के साथ अपनी एक तस्वीर सोशल साइट पर शेयर की है, जिसके चलते वह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। 

मुंबई. देश के दिग्गज कारोबारी और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को कुत्तों से बहुत लगाव है। पिछले हफ्ते उनके जर्मन शेफर्ड कुत्ते टीटो का जन्मदिन था, जो अब इस दुनिया में नही है। उन्होने टीटो के 14वे जन्मदिन पर इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर भावुक कर देने वाली बातें भी कहीं थी। यही नहीं टाटा उन तमाम गैर सरकारी संस्थानों और स्टार्टअप्स को भी मदद करते हैं जो कुत्तों के लिए काम करती हैं। इन्ही में से एक सड़कों पर रहने वाले कुत्तों के लिए काम कर रही संस्थान मोटोपॉज के शांतनु नायडू का जीवन बदल गया। शान्तनु ने हाल ही में एक तस्वीर किया है जिसमें कॉलेज के दिनों का एक फोटो है और दूसरा रतन टाटा के साथ, जिसके नीचे लिखे पोस्ट में उन्होने अपनी सफल यात्रा के बारे में बताया है।  शांतनु द्वारा लोकप्रिय फेसबुक पेज 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' पर लिखे पोस्ट में उन्होंने बताया कि कैसे वह इस जॉब को हासिल करने में कामयाब रहें।

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स्ट्रीट डॉग्स प्रोजेक्ट की शुरुआत

शांतनु पुणे स्थित टाटा एलेक्सी में बतौर ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर काम करते थे। 27 साल के शांतनु के पिता भी इसी संस्थान से जुड़े हुए थे। वे अक्सर कंपनी से घर जाते समय कई बार सड़क पर मरे कुत्तों को देखते थे। इस बात को गंभीरता से लेते हुए उन्होने ड्राइवरों से मुलाकात की। जहां पता चला कि कुत्तों की मौत अचानक सड़क पर आने से होती है। जो ड्राइवर को गाड़ी चलाते वक्त दिखाई नही देते। इस समस्या को खत्म करने के लिए शांतनु ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर स्टार्टअप मोटोजॉप को बनाया। इसके माध्यम से उन्होने चमकदार मैटेरियल से बना डॉग्स के लिए कॉलर का निर्माण किया, जिससे ड्राइवरों को रात के अंधेरे में भी डॉग्स दिखाई दें। शांतनु इसमें सफल रहें। उनकी यह सफलता टाटा समुह के न्यूजलेटरों में भी प्रकाशित हुआ। 

टाटा से मुलाकात

पिता के कहने पर शांतनु ने रतन टाटा को एक पत्र लिखा। जिसका जवाब कुछ दिनों बाद आया। उनको रतन टाटा ने ऑफिस बुलावाया। यहीं से बदली शांतनु की किस्मत। कुत्तों के प्रेमी रतन टाटा से मुलाकात पर शांतनु का कहना है कि उन्होने स्ट्रीट डॉग्स प्रोजेक्ट के लिए किसी भी प्रकार के धन राशि की इच्छा नही जताई लेकिन मि. टाटा ने जोर देकर मोटोजॉप में निवेश किया। वर्तमान में मोटोजॉप देश के करीब 11 से ज्यादा शहरों में कुत्तों के लिए काम करती है। इसके अलावा नेपाल और मलेशिया जैसे देशों से भी कॉल आते हैं। 

MBA करने की इच्छा 

जब शांतनु ने रतन टाटा से MBA करने की इच्छा जताई तो वे तुरन्त मान गए फिर उन्होने कार्नेल विश्वविद्यालय में एडमिशन ले लिया। शांतनु बताते हैं कि कोर्स खत्म कर जब मैं घर आया तो रतन टाटा ने उनको कॉल कर पूछा कि क्या वो उनके काम में सहायक बनेंगे, फिर क्या था मैंने इस सुनहरे अवसर को बिना देर किये लपक लिया। आज शांतनु टाटा के 30 ज्यादा स्टार्टअप के पर्सनल निवेश को संभालते हैं। इसमें खास कर देश के उभरते स्टार्टअप हैं, जिन पर निवेश का फैसला शांतनु का होता है। 
 

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