वोडाफोन आइडिया ने हाल ही में एजीआर पर सरकार के रुख से कंपनी पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव के जवाब में स्पष्टीकरण दिया है। कंपनी का कहना है कि वो अपने किसी भी ऋणदाताओं से कर्ज की शर्तों में नए सिरे से बदलाव करने की बात नही की है। कंपनी पर करीब 40,000 करोड़ रुपए का कर्ज है।
नई दिल्ली. वोडाफोन आइडिया ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उसने किसी भी ऋणदाता से अपने ऋण के पुनर्गठन या भुगतान की शर्तों को नए सिरे से तैयार करने को नहीं कहा है। कंपनी ने कहा कि वह अपने बकाया कर्ज का समय पर भुगतान करती रहेगी।
कंपनी ने कुछ हलकों में चल रही इन अटकलों को खारिज कर दिया कि करीब 40,000 करोड़ रुपये के संभावित सांविधिक बकाया की वजह से कंपनी अपने ऋण का पुनर्गठन करना चाहती है। वोडाफोन आइडिया ने इस तरह की अटकलों को आधारहीन और तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि दूरसंचार राजस्व की परिभाषा पर उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश से पुराने आपरेटरों, विशेषरूप से वोडाफोन आइडिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कुछ विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना है कि इससे भारत दो निजी मोबाइल आपरेटरों वाला बाजार रह जाएगा।
जेफ्रीज ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) को लेकर फैसले का वोडाफोन आइडिया पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे कंपनी के बही खाते को लेकर भी चिंता पैदा हो गई है।
क्रेडिट सुइस ने कहा है कि यदि सरकार आपरेटरों को कुछ राहत मसलन मौजूदा जुर्माने को बाद में अदा करने, लाइसेंस शुल्क में कटौती, स्पेक्ट्रम के बकाये की अदायगी पर दो साल की रोक आदि की पेशकश करती है तो इससे वोडाफोन आइडिया को फायदा होगा। हालांकि, इसके बावजूद कंपनी को दीर्घावधि में अतिरिक्त इक्विटी निवेश की जरूरत होगी।
जेफ्रीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वोडाफोन आइडिया को इस राशि का पूरा भुगतान करना पड़ता है तो उसके बाद अगले तीन साल के लिए निवेश और स्पेक्ट्रम की किस्तों के भुगतान को कोई नकदी नहीं बचेगी।
वोडाफोन आइडिया के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, ‘‘हमें किसी भी ऋणदाता से ऋण पुनर्गठन या भुगतान की शर्तों में बदलाव का आग्रह नहीं किया है। हम अपने कर्ज की समय पर अदायगी करते रहेंगे।’’
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)