Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary 2022: भारतीय क्रांति के जनक केशव गंगाधर के बाल गंगाधर तिलक बनने की कहानी

अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की आग फूंकने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक बचपन से ही सच्‍चाई पर अडिग रहे। कठोर अनुशासन का पालन करते थे। उनके जीवन में कई बार ऐसा हुआ, जब उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, सजा पाई लेकिन कभी सर नहीं झुकाया। 

करियर डेस्क : आधुनिक भारत के निर्माता, भारतीय क्रांति के जनक, महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और प्रखर चिंतक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज 1 अगस्त, 2022 को 102वीं पुण्यतिथि (Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary) है। आज पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से लेकर बड़े नेताओं ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है। 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा' का नारा देकर अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति फूंकने वाले लोकमान्य का नाम बलवंत राव था। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलन छेड़े और अपने साहसिक फैसलों से स्वतंत्र भारत की नींव रखी। आज उनके पुण्यतिथि के मौके पर जानिए केशव गंगाधर के बाल गंगाधर तिलक बनने की कहानी...

बचपन में ही माता-पिता का साथ छूटा
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के रत्नागिरी (Ratnagiri) में चित्पावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका नाम माता-पिता ने केशव गंगाधर रखा। उनके पिता गंगाधर तिलक संस्कृति के विद्वान और शिक्षक थे। बचपन से ही तिलक को पढ़ाई का शौक रहा और वे गणित के काफी होनहार छात्र रहे। जब तिलक की उम्र 10 साल थी,  तब उनके पिता रत्नागिरी से पुणे आ गए थे। यहां तिलक ने एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल जॉइन किया और आगे की पढ़ाई की। तिलक जब मैट्रिक की पढाई कर रहे थे, तब 10 साल की तापिबाई से उनकी शादी हुई, जिनका नाम बाद में सत्यभामा पड़डा। मैट्रिक के बाद, तिलक ने डेक्कन कॉलेज में एडमिशन लिया और 1977 में बीए फर्स्ट क्लास में पास की। तिलक काफी छोटे थे जब उनकी मां का निधन हो गया था। जब वे 16 साल के थे तब पिता का साया भी उठ गया।

Latest Videos

लोकमान्य बनने की कहानी
बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन के पहले लीडर थे।  उन्होंने समाज सुधार के लिए कई कदम उठाए तो पत्रकारिता की कलम से समाज की कुरीतियों को खत्म करने का बीड़ा उठाया। उनकी कुशल विरोध वाली नीति के आगे ब्रिटिश रूल परेशान था। साल 1897 की बात है कि अंग्रेज सरकार की नीतियों के विरोध के चलते एक समय उन्हें मुकदमे और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। पहली बार तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चला और उन्हें जेल में डाल दिया गया। इस मुकदमे और सजा के चलते उन्हें 'लोकमान्य 'की उपाधि मिली। लोगों के लिए आदर्श लोकमान्य तिलक एक उदारवादी हिन्दुत्व के पैरोकार थे। 

आधुनिक भारत के निर्माता
लोकमान्य तिलक ने अपने आंदोलन से आजादी की ऐसी चिंगारी लगाई, जो जन-जन तक पहुंची और आजाद भारत का सपना हर किसी के दिल में बस गया। बाल गंगाधर के साहसिक फैसलों से अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें पूरी तरह हिल गई थीं। उनका सारा जीवन समाज की कुरीतियों को दूर करने और जागरूकता फैलाने में बीता। यही कारण रहा कि वे लोकमान्य नाम से ज्यादा पहचाने जाने लगे। 1 अगस्त, 1920 को वह काला दिन आया, जब भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जीवन भर लगे रहे बाल गंगाधर तिलक का अचानक निधन हो गया। उनके निधन की खबर देशभर में आग की तरह फैली और हर कोई स्तब्ध रह गया। लोकमान्य के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता बताया था। वहीं, पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने कहा था कि आज हिंदुस्तान ने भारतीय क्रांति के जनक को खो दिया है।

इसे भी पढ़ें
आजादी से एक रात पहले क्या था माहौल, उस दौर को याद कर आज भी कांप उठते हैं लोग

India@75: लाला लाजपत राय को लाठी लगी तो भगत सिंह ने उठाया था हथियार, बदला लेने के लिए की सॉन्डर्स की हत्या


 

Share this article
click me!

Latest Videos

The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh