Congress President Election : कम उम्र में पीएचडी, UN में 30 साल जॉब, ऐसा है शशि थरूर का करियर

Published : Oct 17, 2022, 10:48 AM ISTUpdated : Oct 17, 2022, 11:09 AM IST
Congress President Election : कम उम्र में पीएचडी, UN में 30 साल जॉब, ऐसा है शशि थरूर का करियर

सार

14 साल पहले शशि थरूर कांग्रेस में शामिल हुए। तीन बार सांसद और दो बार केंद्रीय राज्यमंत्री रह चुके हैं। बोल्ड स्टेप्स उठाने और देश-दुनिया के मुद्दों पर बेबाक राय रखते हैं। उनकी गिनती कांग्रेस के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नेताओं में होती है। आइए जानते हैं कॉलेज से करियर तक का सफर..  

करियर डेस्क : कांग्रेस अध्यक्ष कौन बनेगा? आज यह सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में है। सोमवार यानी आज 24 साल बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग (Congress President Election) हो रही है। कांग्रेस (Congress) के दो दिग्गज नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला है। पहले हैं सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और दूसरे शशि थरूर (Shashi Tharoor).  शशि थरूर साल 2008 में कांग्रेस का हिस्सा बने और आज सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहने वाले नेताओं में से एक हैं। उनकी गिनती कांग्रेस के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नेताओं में होती है। भले ही मल्लिकार्जुन के मुकाबले वे कमजोर माने जा रहे हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनके नाम पर ही कांग्रेस नेताओं का विश्वास है और वे ही अध्यक्ष चुने जाएंगे। आइए जानते हैं शशि थरूर की कॉलेज के कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव तक पूरा करियर..

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन, अमेरिका से PhD 
शशि थरूर का जन्म 9 मार्च 1956 को लंदन में हुआ था। कुछ समय बाद वे अपने पिता के साथ भारत लौट आए और मुंबई के कैंपेन स्कूल से उनकी स्कूलिंग हुई। इसके बाद वे कोलकाता चले गए और वहां के सेंट जेवियर्स कॉलेजिएट स्कूल में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया और अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के द फ्लेचर स्कूल ऑफ़ लॉ एंड डिप्लोमेसी से इंटरनेशनल रिलेशन्स में मास्टर्स की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने महज 22 साल की उम्र में ही इंटरनेशनल रिलेशन्स अफेयर में पीएचडी की डिग्री कंप्लीट की। इसके साथ ही थरूर फ्लेचर स्कूल में सबसे कम उम्र में PhD करने वाले छात्र बन गए। इसके लिए उन्हें रॉबर्ट बी स्टीवर्ट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

UN में 30 साल तक नौकरी 
पीएचडी कंप्लीट करने के बाद 1978 में शशि थरूर बतौर स्टाफ मेंबर UNHRC में नौकरी शुरू की। करीब 30 साल तक यूनाइटेड नेशंस (UN) में अलग-अलग पदों पर सेवाएं दी। 1981 में उन्हें सिंगापुर का प्रमुख बनाया गया। 1989 में यूएन प्रमुख के स्पेशल असिस्टेंट बने। 1996 में युगोस्लाविया में यूएन शांति दूत टीम को लीड किया। 1996 में यूएन कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर बनाए गए। इसके बाद साल 2002 में यूनाइटेड नेशंस में अंडर जनरल सेक्रेटरी बनाए गए। थरूर कई किताबें भी लिख चुके हैं। 

कॉलेज इलेक्शन से पॉलिटिकल करियर तक..
छात्र संघ चुनाव जीता
दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से थरूर ग्रेजुएशन कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने 1973 में कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। उस वक्त उनकी उम्र महज 17 साल ही थी। चुनाव जीतते ही उन्होंने सबसे पहला जो फैसला किया, उसने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। थरूर ने सेंट स्टीफन के संविधान में संशोधन किया और स्टूडेंट्स सोसाइटी का नाम बदलकर स्टूडेंट्स यूनियन कर दिया।

UN महासचिव का इलेक्शन
कम लोग ही जानते होंगे की शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन के महासचिव का चुनाव भी लड़ चुके हैं। साल 2006 की बात है, जब कोफी अन्नान रिटायर हुए तब  महासचिव पद का चुनाव हुआ। भारत सरकार की हरी झंडी के बाद बान की मून के सामने थरूर  मैदान में उतरे। इस चुनाव में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य ही वोटिंग करते हैं। अमेरिका ने वीटो लगा दिया और थरूर की हार हुई। इसके दो साल बाद थरूर इंडिया वापस लौट आए और साल 2008 में कांग्रेस में शामिल हुए। 

पहली बार लोकसभा चुनाव
कांग्रेस का दामन थामने के एक साल बाद ही थरूर ने 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। केरल के तिरुअनंतपुरम से उन्होंने नामांकन दाखिल किया और पहले ही चुनाव में सीपीआई के एडवोकेट पी रामचंद्रन नायर करीब एक लाख वोट से हराकर जीत हासिल की और मनमोहन सरकार में मंत्री बने।

मोदी लहर के बावजूद दूसरा चुनाव जीते
साल 2014 में थरूर एक बार फिर तिरुअनंतपुरम से चुनावी मैदान में उतरे। इस साल मोदी लहर जबरदस्त तरीके से हावी रही, बावजूद इसके शशि थरूर चुनाव जीतने में कामयाब रहे और बीजेपी के ओ राजगोपाल को हराकर लोकसभा पहुंचे।

जीत की हैट्रिक
साल 2019 में थरूर ने तिरुअनंतपुरम सीट से जीत की हैट्रिक लगाई और भाजपा के कुमनम राजशेखरन को करीब एक लाख वोट हराया। इस जीत के साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हो गए। कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों और सुर्खियों में भी रहते हैं। अब कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे हैं।

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