चीन में मेडिकल की पढ़ाई के इच्छुक छात्र ध्यान दें : भारतीय दूतावास ने जारी की एडवाइजरी, इन सवालों का जवाब दिया

भारतीय दूतावास की तरफ से चीन के अधिकारियों और मेडिकल कॉलेजों से अपील की गई है कि क्लिनिकल मेडिसिन की पढ़ाई करने चीन आने वाले भारतीय छात्रों को सभी तरह की सुविधाएं दी जाएं ताकि वे एनएमसी की एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा कर सकें।

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2022 9:22 AM IST / Updated: Nov 07 2022, 03:11 PM IST

करियर डेस्क : चीन में मेडिकल की पढ़ाई (Study In China) की प्लानिंग कर रहे भारतीय छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास की तरफ से जारी एडवाइजरी में बताया गया है कि चीन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों और उनके पैरेंट्स की तरफ से कई तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। ये सवाल नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएशन एग्जाम को लेकर हैं। एंबेसी की तरफ से साफ किया गया है कि चीन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता को नेशनल मेडिकल कमीशन की उस गजट नोटिफिकेशन को जरूर देखना चाहिए, जिसे 18 नवंबर, 2021 को जारी किया गया था।

NMC के नोटिफिकेशन में क्या है
एनएमसी की तरफ से साल 2021 में जारी नोटिफिकेशन के क्लाज-3 (बी) में स्पष्ट किया गया है कि भारत के बाहर विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए यह अनिवार्य है कि वे संबंधित प्रोफेशनल रेगुलेटरी बॉडी में रजिस्टर्ड रहें या फिर इसके समकक्ष अथॉरिटी से मेडिसिन की प्रैक्टिस का लाइसेंस उनके पास होना चाहिए।

चीनी अधिकारियों से अपील
भारतीय दूतावास की तरफ से चीनी अधिकारियों और मेडिकल कॉलेजों से यह अपील की गई है कि क्लिनिकल मेडिसिन की पढ़ाई के लिए आने वाले भारतीय छात्रों को हर तह की सुविधा दी जाएं ताकि वे एनएमसी के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा कर सकें। नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि नवंबर 2021 के बाद चीन आकर क्लिनिकल मेडिसिन प्रोग्राम में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट अगर चीन में मेडिकल डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं तो वे एनएमसी के फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम में नहीं शामिल हो सकेंगे।

क्या इस तरह चीन में असिस्टेंट डॉक्टर का काम कर सकते हैं?
भारतीय दूतावास से पूछे गए एक और सवाल में यह कहा गया कि क्या भारतीय छात्र चीन में मेडिकल की पढ़ाई के बाद अगर प्रैक्टिसनर लाइसेंस नहीं पा सके हैं तो क्या वे चीन के अस्पतालों में बतौर असिस्टेंट डॉक्टर काम कर सकते हैं ताकि उनकी कमाई का जरिया बना रहे और एजुकेशन लोन चुकाने के लिए लिए पैसे भी जमा कर सकें। इस सवाल के जवाब के लिए भारतीय दूतावास ने चीनी अधिकारियों से विस्तृत जानकारी मांगी है। चीन की तरफ से जैसे ही यह जानकारी सामने आती है भारतीय दूतावास ट्विटर पर इसे शेयर करेगा।

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