जिस दफ्तर में थे चपरासी, अब वहीं बने अफसर, शैलेन्द्र को CGPSC में मिली 2nd रैंक

छत्तीसगढ़ के एक किसान परिवार के बेटे, शैलेन्द्र कुमार बंधे ने CGPSC में 5 प्रयासों के बाद सफलता हासिल की। चपरासी से लेकर असिस्टेंट कमिश्नर बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायक है।

Shailendra Kumar Bandhe PCS Success Story: शैलेन्द्र कुमार बंधे की कहानी ने यह साबित कर दिया कि अगर व्यक्ति के अंदर जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता आसान बन सकता है। छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव बिटकुली से निकल कर, जहां उनकी परिवारिक पृष्ठभूमि खेती-किसानी से जुड़ी हुई थी, शैलेन्द्र ने CGPSC जैसी कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उन्होंने यह सफलता पाने के लिए 5 प्रयास किए और अंततः CGPSC 2023 में 73वीं रैंक (जनरल कैटेगरी) और 2वीं रैंक (आरक्षित वर्ग) हासिल की। सबसे बड़ी बात यह है कि शैलेंद्र PCS ऑफिस में अबतक चपरासी का काम कर रहे थे अब वहीं ऑफिसर बन कर शामिल हो रहे हैं।

गांव के साधारण किसान परिवार में हुआ जन्म

शैलेन्द्र का जन्म बिटकुली गांव, बिलासपुर जिले में हुआ था। उनका परिवार एक साधारण किसान परिवार था, लेकिन शैलेन्द्र ने कभी भी अपने सामाजिक और पारिवारिक सीमाओं को अपने सपनों के रास्ते में नहीं आने दिया। उन्होंने रायपुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और फिर NIT रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech किया। यहां से उनकी दुनिया बड़ी हुई, और उनका सपना एक सरकारी अधिकारी बनने का आकार लेने लगा।

Latest Videos

शानदार प्राइवेट सेक्टर का करियर छोड़ सरकारी नौकरी की चुनी राह

B.Tech पूरा करने के बाद, शैलेन्द्र के पास प्राइवेट सेक्टर में एक शानदार करियर बनाने के सारे मौके थे। लेकिन उन्होंने सरकारी नौकरी का रास्ता चुना। वह जानते थे कि यह उनके लिए ज्यादा स्थिर और सम्मानजनक होगा। शैलेन्द्र ने कभी भी प्लेसमेंट इंटरव्यू के लिए आवेदन नहीं किया, क्योंकि वह गवर्नमेंट सर्वेंट बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते थे।

प्रेरणा का स्रोत बने हिमाचल साहू

उन्हें प्रेरणा उनके NIT रायपुर के सुपर सीनियर हिमाचल साहू से मिली, जिन्होंने CGPSC 2015 में पहला स्थान प्राप्त किया था। उनकी सफलता ने शैलेन्द्र को यह विश्वास दिलाया कि वह भी यह कर सकते हैं। इस प्रेरणा ने शैलेन्द्र को और अधिक मेहनत करने के लिए उत्साहित किया।

5 साल का संघर्ष, पहले चार प्रयासों में नहीं मिली सफलता

शैलेन्द्र के लिए रास्ता आसान नहीं था। उन्होंने CGPSC की परीक्षा में 5 प्रयास किए और हर बार सफलता पाने के करीब पहुंचकर भी चूक गए। पहले प्रयास में शैलेन्द्र प्रीलिम्स में फेल हो गए। दूसरे प्रयास में मेन्स में पास नहीं कर पाए। तीसरे और चौथे प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन अंतिम चरण में नाकाम रहे। हर बार असफल होने के बावजूद, शैलेन्द्र ने हार मानने के बजाय खुद को और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि फेल होने से ही असली सफलता की दिशा मिलती है।

चपरासी की नौकरी की, कठिनाई को अवसर में बदला

2023 में शैलेन्द्र को CGPSC कार्यालय में चपरासी की नौकरी मिली, जिसका उद्देश्य उनके परिवार की आर्थिक मदद करना था। उन्होंने इस काम को गर्व के साथ किया, क्योंकि वह मानते थे कि कोई भी नौकरी छोटी नहीं होती, हर नौकरी की अपनी गरिमा होती है। यह समय शैलेन्द्र के लिए कठिन था, क्योंकि कुछ लोग उन्हें ताने मारते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी इन तानों को अपने आत्मविश्वास को कम करने का कारण नहीं बनने दिया।

फिर आया सफलता का पांचवां प्रयास

शैलेन्द्र के पांचवें प्रयास में उन्हें CGPSC 2023 में सफलता मिली। उन्होंने 73वीं रैंक (जनरल कैटेगरी) और 2वीं रैंक (आरक्षित वर्ग) हासिल की। शैलेन्द्र की मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। अब वह असिस्टेंट कमिश्नर (स्टेट टैक्स) के पद पर नियुक्त होंगे।

परिवार का समर्थन बना सफलता की असली ताकत

शैलेन्द्र ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने परिवार दिया, जिन्होंने हमेशा उन्हें सपोर्ट किया। उनके किसान पिता, संतराम बंधे के अनुसार- मेरे बेटे ने जो संघर्ष किया और जो मेहनत की, वह सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है।

हार से सीखें और आत्मविश्वास बनाए रखें

शैलेन्द्र ने यह स्पष्ट किया कि सफलता केवल कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से मिलती है, चाहे रास्ते में कितनी भी बाधाएं क्यों न आएं। उनका कहना है, हमेशा हार से सीखें और आत्मविश्वास बनाए रखें। यह जीवन का सबसे बड़ा शिक्षक है। अब जब शैलेन्द्र की सफलता की कहानी सामने आई है, तो यह लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। उन्होंने यह साबित किया कि अगर आप ईमानदारी से मेहनत करते हैं और कभी हार नहीं मानते, तो किसी भी परीक्षा में सफलता आपके कदमों में होगी।

ये भी पढ़ें

हर्षिता केजरीवाल का JEE एडवांस्ड रैंक, इंजीनियरिंग ब्रांच और IIT कॉलेज

रिया डाबी ने 4 साल में पाई वो सफलता, जिसके लिए टीना डाबी को लगे 10 साल

Share this article
click me!

Latest Videos

तो क्या खत्म हुआ एकनाथ शिंदे का युग? फडणवीस सरकार में कैसे घटा पूर्व CM का कद? । Eknath Shinde
43 साल बाद कुवैत पहुंचे भारतीय पीएम, जमकर लगे मोदी-मोदी के नारे
जयपुर हादसे में सबसे बड़ा खुलासा: सच हिलाकर रख देगा, पुलिस भी हो गई शॉक्ड
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
कुवैत के लिए रवाना हुए मोदी, 43 साल के बाद पहली बार यहां जा रहे भारतीय PM