
Harshita Dave MPPSC 2024 Success Story: इंदौर की हर्षिता दवे ने साबित कर दिया कि अगर मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन साथ हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। महज 22 साल की उम्र में हर्षिता ने MPPSC 2024 की परीक्षा में फीमेल अनारक्षित श्रेणी में टॉप कर डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल किया। इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार का, बल्कि पूरे शहर का गर्व बढ़ा दिया है। जानिए हर्षिता दवे के बारे में, उनका एजुकेशन, प्रिपरेशन स्ट्रेटजी और फैमिली डिटेल्स।
हर्षिता ने इस परीक्षा में 5वीं रैंक हासिल की है और महिला कैटेगरी में सबसे ऊपर रहीं। उन्होंने बीए और एमए किया है। उनके पिता, डॉ विकास दवे, साहित्य अकादमी के डायरेक्टर हैं और मां, सुनीता दवे, एक प्राइवेट स्कूल में हिंदी की टीचर हैं। हर्षिता ने बचपन से ही पढ़ाई और प्रतियोगिताओं में अव्वल प्रदर्शन किया।
हर्षिता एमपीपीएससी की तैयारी के लिए रोजाना 12 से 14 घंटे पढ़ाई करती थी। उन्होंने सफलता का श्रेय अपने प्रारंभिक स्कूल सरस्वती शिशु मंदिर और माधव विद्यापीठ को दिया। आगे की तैयारी उन्होंने आजाद पी-3 क्लासेस में की, जहां उन्हें लखन पटेल और महेंद्र पाटीदार से मार्गदर्शन मिला। इंटरव्यू की तैयारी में प्रदीप मिश्रा का सहयोग भी उनके लिए महत्वपूर्ण रहा।
हर्षिता की सफलता पर परिवार बेहद खुश है। उनके बड़े भाई हार्दिक दवे एक न्यूज एंकर हैं। हर्षिता बचपन से ही इंटरनेशनल डिबेटर रही है और एमपीपीएससी में सफलता उसकी लगातार मेहनत का परिणाम है। दादी सुशीला दवे का सपना सिविल सर्विसेज में जाना था लेकिन 1966 में पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्हें शादी करनी पड़ी थी, अब पोती की सफलता से भावुक हैं। हर्षिता ने प्रशासनिक सेवा में जाने का अपनी दादी का अधूरा सपना पूरा किया।
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हर्षिता डिबेट की शौकीन हैं और उन्होंने 90 से ज्यादा राष्ट्रीय और एक अंतरराष्ट्रीय डिबेट जीती हैं। उन्होंने हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस और सोशियोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है। उनके अनुसार हिंदी पर अच्छी पकड़ से परीक्षा में उन्हें काफी फायदा मिला।
हर्षिता दवे की कहानी सिर्फ परिवार या शहर के लिए गर्व का कारण नहीं है, बल्कि यह उन सभी युवाओं और खासकर बेटियों के लिए प्रेरणा है, जो बड़े सपनों के लिए कठिन मेहनत कर रही हैं। हर्षिता का संदेश साफ है- सही दिशा, मार्गदर्शन और निरंतर मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
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