Constitution Day 2025: भारत का संविधान बच्चों की पढ़ाई, महिलाओं की सुरक्षा, बुज़ुर्गों के सम्मान के अधिकारों को सुरक्षा देता है। जानिए कौन-कौन से कानून आपके हक की रक्षा करते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में ये कैसे मदद करते हैं।
Indian Constitution Protection Rights: हमारा संविधान सिर्फ कागज के पन्नों पर नहीं है, बल्कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हर कदम पर हमारे हक की रक्षा करता है। चाहे आप विद्यार्थी हों, महिला हों, या बुजुर्ग हों, संविधान हर वर्ग के लिए सुरक्षा, सम्मान और अधिकार सुनिश्चित करता है। जानिए जीवन भर कैसे हमारा संविधान बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्ग के अधिकारों की रक्षा करता है और कौन-कौन से हक देता है।
बच्चों को पढ़ाई और बराबरी का अधिकार कैसे मिलता है?
विद्यार्थियों के संवैधानिक अधिकार के अनुसार 6 से 14 साल के बच्चे मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाने के हकदार हैं। इसका मतलब यह है कि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रह सकता।
आरटीई (Right to Education) के तहत हर बच्चे को स्कूल में दाखिला लेने से रोका नहीं जा सकता।
अनुच्छेद 14 सभी छात्रों को बराबरी का अधिकार देता है। इसमें धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान या नस्ल के आधार पर भेदभाव करना मना है।
अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को अपने स्कूल चलाने का अधिकार देते हैं।
अनुच्छेद 45 राज्य की जिम्मेदारी बताता है कि 6 साल से छोटे बच्चों की शुरुआती शिक्षा और देखभाल सुनिश्चित की जाए।
इस तरह संविधान हर बच्चे को सीखने का हक और बराबरी का अवसर देता है।
महिलाओं की सुरक्षा और समानता के लिए कौन-कौन से कानून हैं?
महिलाओं को संविधान और कानून की मदद से गरिमा, सुरक्षा और समान अधिकार मिलते हैं। जिसमें-
अनुच्छेद 16 रोजगार में बराबरी का हक देता है।
अनुच्छेद 21 हर महिला को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देता है।
नयी श्रम संहिता महिलाओं को समान वेतन और रात्रीकालीन शिफ्ट में काम करने की अनुमति देती है।
सुरक्षा के लिए कानून बने हैं जैसे- घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005, मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, अनुच्छेद 39(डी) समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार सुनिश्चित करता है।
यानी संविधान और कानून महिलाओं को सुरक्षा, रोजगार में समानता और जीवन की गरिमा देते हैं।