क्या आप जानते हैं "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" का मतलब?

Muhavare In Hindi: मुहावरे हिंदी भाषा का अभिन्न अंग हैं जो गहरे अर्थ और जीवन के अनुभवों को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं। ये मुहावरे हमारे भावों को भी प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में मदद करते हैं। यहां पढ़िये फेमस मुहावरे और उसके अर्थ। 

Muhavare In Hindi: मुहावरों का हिंदी और क्षेत्रीय भाषा मेंअपना एक अनूठा स्थान है। ये सिर्फ शब्दों का समूह नहीं होते, बल्कि गहरे अर्थ और जीवन के अनुभवों को संक्षेप में बयां करते हैं। मुहावरे अपने शब्दों की खूबसूरती से अभिव्यक्ति को और भी प्रभावशाली बना देते हैं। जब हम बात करते हैं, तो इन मुहावरों का इस्तेमाल हमारे शब्दों में न सिर्फ मजा भरता है, बल्कि भावनाओं और अनुभवों को भी बहुत ही दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत करता है। स्कूली छात्रों, कंपीटिटिव एग्जाम्स में भी मुहावरे और उसके अर्थ पूछे जाते हैं। मुहावरों का नॉलेज बढ़ाने के लिए यहां पढ़िये 8 फेमस मुहावरे और उनके अर्थ।

आसमान से गिरे, खजूर में अटके

Latest Videos

अर्थ: एक मुसीबत से निकलकर दूसरी मुसीबत में फंस जाना। इस मुहावरे का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति एक बड़ी मुसीबत से छुटकारा पाकर यह सोचने लगता है कि बच गये, तभी फिर से एक और परेशानी में फंस जाता है। 

नौ दिन चले अढ़ाई कोस

अर्थ: बहुत धीमी गति से काम करना या काम में बहुत समय लगाना। यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब कोई काम बहुत स्लो हो रहा हो या बहुत ज्यादा समय ले रहा हो, जबकि काम असल में उतना बड़ा नहीं होता। 

ऊंची दुकान, फीका पकवान

अर्थ: बाहर से दिखने में आकर्षक लेकिन अंदर से क्वालिटी में खराब होना। इस मुहावरे का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई चीज बाहर से बहुत आकर्षक दिखाई देती है, जबकि असल में उतनी अच्छी नहीं होती जितनी दिखती है। जैसे कोई दुकान बाहर से सजावट में बहुत अच्छी हो, लेकिन अंदर उसके सामनों की क्वालिटी अच्छी न हो।

धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का

अर्थ: ऐसा व्यक्ति जिसका किसी भी स्थान पर कोई स्थाई स्थान या स्थिति नहीं होती। इस मुहावरे का इस्तेमाल उन लोगों के लिए होता है, जो किसी एक जगह या क्षेत्र से संबंधित नहीं होते और अपनी पहचान को खो देते हैं। वे न तो एक स्थान पर सही से रह पाते हैं और न ही दूसरे स्थान पर। बीच में फंसकर कर रह जाते हैं।

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद

अर्थ: जो व्यक्ति किसी विषय की समझ नहीं रखता, उसे उसकी विशेषताएं या अहमियत समझ नहीं आती। यह मुहावरा उन लोगों पर लागू होती है जो किसी चीज की कद्र नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें उस चीज की खासियत मालूम नहीं होत।

गुड़ खाए और गुलगुले से परहेज

अर्थ: छोटी बुराइयों से बचने की कोशिश करना जबकि बड़ी बुराइयों में लिप्त होना। यह मुहावरा उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो दिखावा करते हैं कि वे कुछ बुरा नहीं कर रहे, जबकि वे असल में बड़ी गलतियों में शामिल होते हैं।

ये भी पढ़ें

क्या आप जानते हैं "जिनके घर दाने, उनके ही कमले सयाने" का मतलब?

IQ Test: दरवाजे से तो गुजरती है, लेकिन अंदर-बाहर नहीं जाती? दीजिए जवाब

Share this article
click me!

Latest Videos

LIVE 🔴 Maharashtra, Jharkhand Election Results | Malayalam News Live
संभल हिंसा पर कांग्रेस ने योगी और मोदी सरकार पर साधा निशाना
'बसपा अब नहीं लड़ेगी कोई उपचुनाव'BSP Chief Mayawati ने खुद बताई बड़े ऐलान की वजह
Kharmas 2024: दिसंबर में कब से लग रहे हैं खरमास ? बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
'भविष्य बर्बाद न करो बेटा' सड़क पर उतरे SP, खुद संभाला मोर्चा #Shorts #Sambhal