
Year Ender 2024: इस साल पूजा खेडकर के IAS में चयन से जुड़ा एक बड़ा स्कैंडल सामने आया, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। यह मामला न केवल यूपीएससी (UPSC) की प्रक्रिया की पारदर्शिता को चुनौती देता है, बल्कि देश में प्रशासनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार और धांधली के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को भी उजागर करता है।
पूजा खेडकर, जो UPSC परीक्षा में सफल होकर IAS अधिकारी बनीं थीं, के खिलाफ आरोप था कि उन्होंने अपनी दिव्यांगता, ओबीसी कैटेगरी, आर्थिक स्थिति और यहां तक की पैरेंट्स के नाम तक को लेकर गलत जानकारी और फर्जी सर्टिफिकेट पेश की थी। पूजा ने अपनी कागजी कार्यवाही में फर्जी सर्टिफिकेट का हवाला दिया था, जो बाद में जांच के दौरान गलत पाया गया। जांच में यह पाया गया कि पूजा ने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों में धोखाधड़ी की थी, जिससे उनकी नियुक्ति पर सवाल उठने लगे।
इस मामले में शुरुआत में पूजा के पक्ष में कुछ लोग आए थे, लेकिन मामले की गहराई में जाकर जब यूपीएससी ने कड़ी जांच शुरू की, तो कई अनियमितताएं सामने आईं। पूजा के दस्तावेजों को लेकर कई बार पूछताछ की गई और अंततः यह सामने आया कि उन्होंने कुछ दस्तावेजों में फर्जी जानकारी दी थी। इसके बाद, UPSC ने पूरी तरह से इस मामले की छानबीन की और पाया कि उनका चयन गलत तरीके से हुआ था।
जांच के बाद, UPSC ने पूजा खेडकर की IAS की कुर्सी छीन ली और उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया। यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता और कड़ी नीतियों के तहत उठाया गया था, ताकि यह संदेश जाए कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में कोई भी धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। UPSC का यह फैसला भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की अहमियत को दिखाता है।
पूजा खेडकर, जो कि एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी थीं, 2024 में अपने कुछ वीआईपी मागों को लेकर सुर्खियों में आईं थीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने सरकारी कार, खास सुरक्षा सेवाएं, पर्सनल ऑफिसर रूम और VIP ट्रीटमेंट की मांग की थी। जबकि एक ट्रेनी अधिकारी के रूप में उन्हें ऐसी सुविधाएं नहीं मिल सकती थीं, फिर भी उन्होंने इन विशेष सुविधाओं का लाभ उठाने की कोशिश की।
पूजा खेडकर के मामले ने खासकर उन छात्रों के लिए चेतावनी का काम किया है, जो शॉर्टकट अपनाने की सोचते हैं। हालांकि कुछ लोग पूजा के पक्ष में भी आए, लेकिन अंततः न्याय और पारदर्शिता के पक्ष में UPSC ने जो कदम उठाया, उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा के बारे में एक नया संदेश दिया। पूजा खेडकर के मामले ने यह साबित कर दिया कि चाहे आप कितने भी सक्षम क्यों न हों, भारतीय प्रशासनिक सेवा में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से बड़ा कोई मूल्य नहीं है। यह घटना आने वाले समय में अन्य उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी सीख बनकर रहेगी। प्रशासनिक सेवाओं में चुनौतियां हमेशा रहती हैं, लेकिन यह जरूरी है कि व्यक्ति अपनी योग्यता के दम पर ही सफलता हासिल करे, न कि किसी धोखाधड़ी के सहारे।
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