दो बार रहे असफल, फिर हिंदी में इंटरव्यू देकर क्रैक किया UPSC

अगर लक्ष्य को हासिल करने का दृढ़ संकल्प और मेहनत करने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। इस बात को साबित किया है दिलीप कुमार ने। उन्होंने यूपीएससी एग्जाम में दो बार असफल होने के बावजूद आखिर में हिंदी माध्यम से इंटरव्यू देकर सफलता हासिल की और आईएएएस ऑफिसर बने।

करियर डेस्क। अगर लक्ष्य को हासिल करने का दृढ़ संकल्प और मेहनत करने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। इस बात को साबित किया है दिलीप कुमार ने। उन्होंने यूपीएससी एग्जाम में दो बार असफल होने के बावजूद आखिर में हिंदी माध्यम से इंटरव्यू देकर सफलता हासिल की और आईएएस ऑफिसर बने। दिलीप कुमार ने दो बार मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल की, लेकिन इंटरव्यू में पास नहीं हो सके। वे समझ गए कि इसकी वजह अंग्रेजी है। अंग्रेजी धाराप्रवाह नहीं बोल पाने के कारण ही उनका चयन नहीं हो पा रहा था। इसलिए उन्होंने रणनीति में बदलाव किया और हिंदी माध्यम से इंटरव्यू देने का फैसला किया। 

इस फैसले से मिली सफलता
बता दें कि जब दिलीप कुमार ने हिंदी माध्यम से इंटरव्यू दिया तो वे इस परीक्षा में सफल रहे और उन्हें 2018 की यूपीएससी परीक्षा में 73वीं रैंक मिली। इसके बाद वे आईएएस ऑफिसर बन गए। दिलीप कुमार ने अपनी स्ट्रैटजी में बदलाव किया, लेकिन बहुत सारे कैंडिडेट्स जो अंग्रेजी में कमजोर होते हैं, सिर्फ इसी वजह से यूपीएससी एग्जाम में सफल नहीं हो पाते। दिलीप कुमार का कहना है कि जिस भाषा में अपनी बात ठीक से रखी जा सके, उसी में इंटरव्यू देना चाहिए। उनका कहना है कि दो बार उन्होंने अंग्रेजी में इंटरव्यू दिया और उन्हें कम अंक मिले। इसके बाद ही उन्होंने हिंदी में इंटरव्यू देने का फैसला किया जो कारगर रहा। 

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हर हाल में बनना था आईएएस
दिलीप कुमार कहते हैं कि उन्होंने कॉलेज के दिनों में ही यूपीएससी एग्जाम में सफलता हासिल करने का संकल्प ले लिया था। उनका लक्ष्य था हर हाल में आईएएस ऑफिसर बनना और इसी को ध्यान में रखते हुए वे पढ़ाई कर रहे थे। दिलीप कुमार का कहना है कि भाषा महज एक माध्यम है। इसलिए हिंदी में सहज हों और इस भाषा पर अधिकार हो तो हमेशा हिंदी में ही इंटरव्यू देना चाहिए। उनका कहना है कि इंटरव्यू में हिंदी और अंग्रेजी का मिला-जुला प्रयोग भी होता है। दिलीप कुमार ने कहा कि 2016-17 में उन्हें अंग्रेजी में इंटरव्यू देने पर 143 मार्क्स मिले, लेकिन जब हिंदी में इंटरव्यू दिया तो 179 मार्क्स मिले और आईएएस के लिए उनका चयन हो गया। बता दें कि यूपीएससी परीक्षा में इंटरव्यू 275 अंकों का होता है।

पर्सनैलिटी डेवलपमेंट है जरूरी
दिलीप कुमार कहते हैं कि इंटरव्यू में सफलता हासिल करने के लिए पर्सनैलिटी डेवलपमेंट होना जरूरी है। ज्यादातर कैंडिडेट्स इंटरव्यू में ही छंट जाते हैं, इसके पीछे मुख्य़ वजह यह है कि वे सहज नहीं रहते। दिलीप कुमार का कहना है कि इंटरव्यू में करंट अफेयर्स के बारे में ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं। इसलिए देश-दुनिया के हालात से परिचित होना चाहिए और उन्हें लेकर एक राय भी होनी चाहिए। जहां तक विषयों की जानकारी का सवाल है तो उसकी जांच मुख्य परीक्षा में ही हो जाती है। इंटरव्यू में व्यक्तित्व की जांच होती है। दिलीप कुमार ने कहा कि इंटरव्यू के पहले एक फॉर्म भरना पड़ता है। उसमें अपनी हॉबी के बारे में सही जानकारी देनी चाहिए, क्योंकि काफी सवाल हॉबी से संबंधित भी पूछे जा सकते हैं।  

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