क्या है G-7 Summit: कौन-कौन से देश हैं सदस्य, भारत मेंबर नहीं फिर भी कैसे लेता है हिस्सा, सरल शब्दों में समझिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में दुनिया के सात औद्योगिक रुप से संपन्न देशों के नेताओं से कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इनमें यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, खाद्य सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई समेत कई वैश्विक मुद्दे शामिल हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jun 27, 2022 10:24 AM IST / Updated: Jun 27 2022, 05:34 PM IST

करियर डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इस समय जर्मनी (Germany) में चल रहे जी-7 शिखर सम्मेलन यानी ग्रुप ऑफ सेवन (G-7 Summit) में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम सम्मेलन में पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे विषयों पर अपने विचार रखेंगे। इसके साथ ही सम्मेलन में शामिल सदस्य देशों के नेताओं से भी बातचीत करेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री जिस समिट का हिस्सा बने हैं, वह जी-7 समिट है क्या? यह कब बना और इसका उद्देश्य क्या है? पढ़िए इससे जुड़ी पूरी जानकारी..

क्या है G-7 ग्रुप
G-7 एक ऐसा ग्रुप है, जिसमें प्रमुख औद्योगिक देश शामिल हैं। इन्हीं देशों के समूह को जी-7 कहते हैं। जो देश इस संगठन के सदस्य हैं, उनमें  संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम हैं। इस समूह के देश ह्यूमन राइट्स, डेमोक्रेसी, फ्रीडम और डेवलपमेंट के सिद्धांत पर काम करते हैं। इस साल G7 की अध्यक्षता जर्मनी कर रहा है।

कब हुई स्थापना, क्या है उद्देश्य
जी 7 समूह की स्थापना साल 1975 में हुई थी। उसी साल समूह की बैठक भी हुई थी। पहली बैठक में दुनिया भर में बढ़ रहे आर्थिक संकट और उसके समाधान पर चर्चा हुई थी। तब से हर साल यह समूह शिखर सम्मेलन का आयोजन करता है। इस सम्मेलन में सात देशों के नेता वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इन मुद्दों का समाधान ढूंढते हैं और कोशिश करते हैं कि उन मुद्दों पर सहमति बने।पहले इस समूह में छह सदस्य देश ही थे लेकिन स्थापना के एक साल बाद 1976 में कनाडा इसमें शामिल हो गया और यह G-7 बन गया। 

भारत G-7 का हिस्सा नहीं, फिर भी सम्मेलन में शामिल, क्यों 
अब सवाल यह है कि जब भारत G-7 का हिस्सा नहीं नहीं तो कैसे हिस्सा ले रहा है। इसका जवाब यह है कि जी 7 के देशों के अलावा दूसरे देशों के प्रतिनिधियों को भी इस सम्मेलन में हर साल आमंत्रित किया जाता है। इस साल जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ स्कोल्ज़ (Olaf Scholz) ने भारत, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और साउथ अफ्रीका को सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया है। इस सम्मलेन में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की भी वर्च्युअली शामिल हुए हैं। 

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