भारत का पहला टेलीविजन युद्ध था 'कारगिल', कूटनीति ऐसी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया था पाकिस्तान

कारगिल का युद्ध पाकिस्तान से हुए बाकी तीन लड़ाईयों से बिल्कुल अलग था। इसमें घुसपैठ के जरिए भारतीय इलाकों को कब्जा करने का मंसूबा था। हालांकि पाकिस्तान इसमें सफल नहीं हो सका और भारत के सामने उसे हार का सामना करना पड़ा था।
 

Asianet News Hindi | Published : Jul 26, 2022 4:26 AM IST / Updated: Jul 26 2022, 10:29 AM IST

करियर डेस्क : आज से 23 साल पहले 1999 में भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) के बीच जो युद्ध कारगिल पर लड़ा गया वह कई मायनों में बिल्कुल अलग था। इस युद्ध में भारत की कूटनीति ने पाकिस्तान को ऐसी मात दी कि दुनियाभर में वह अलग-थलग पड़ गया। करीब ढाई महीने तक चली इस जंग के हर मोर्चे पर पाक को मुंह की खानी पड़ी। इस वार को भारत का पहला टेलीविजन युद्ध भी कहा जाता है। जानिए इसके पीछे का कारण और वह कूटनीति जिसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को बैकफुट पर ढकेल दिया...

कूटनीति और युद्धनीति
भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरिम सीमा लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) मानी जाती है। 1971 के युद्ध के समय से ही यह सीमा तय है। लेकिन 1999 में पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देते हुए इस लाइन को बदलने की कोशिश की और भारतीय सीमा में घुसपैठ कराई। मई महीने का तीसरा सप्ताह चल रहा था। भारत सरकार को जब इसकी खबर लगी तो उसके सामने कई तरह की चुनौतियां थी। पहली कि पाक के मंसूबों को युद्ध स्तर पर जवाब देना और दूसरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिखाना कि पाकिस्तान का रवैया आक्रमण का रहा है और भारत सिर्फ अपनी आत्मरक्षा में युद्ध जैसा कदम उठा रहा है। जिससे उसे दुनियाभर का समर्थन मिल सके। एक तरफ भारत ने दुनिया को अपना पक्ष समझाया, दूसरी तरफ जवाबी कार्रवाई हुई। जंग को भारत ने जीत लिया। बहुत से देश भारत के समर्थन में आ गए और पाकिस्तान दुनियाभर में अलग-थलग पड़ गया। भारत की कूटनीति और युद्धनीति दोनों सफल रही। 

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पहला टेलीविजन युद्ध
कारगिल युद्ध भारत का पहला टेलीविजन युद्ध माना जाता है। यह ऐसी जंग थी, जिसमें युद्ध इलाके में कई पत्रकारों ने रिपोर्टिंग की और उसकी तस्वीरें टीवी पर दिखाई गईं। इसी का नतीजा रहा कि विश्वभर में भारत को समर्थन मिला और दुनिया के देशों के लोग भारत के पक्ष में खड़े हो गए। युद्ध में भारत सरकार ने मीडिया को बेहतर तीके से मैनेज किया। हर दिन रक्षा मंत्रालय की तरफ से ब्रीफिंग की जाती थी। युद्ध में भारत को मदद भी मिली रक्तदान शिविर लगाए गए, सेना के लिए वेलफेयर फंड बनाया गया, सेलिब्रिटी लोगों ने भी जवानों का मनोबल बढ़ाया और भारत की जीत की पटकथा लिखी।

भारत की डिप्लोमेसी और बैकफुट पर पाकिस्तान
दरअसल, डिप्लोमेसी यानी कूटनीति इस युद्ध का सबसे अहम हिस्सा रहा। कारगिर से एक साल पहले 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था, जिससे उस पर कई देशों से प्रतिबंध लगाए गए थे। इसी के चलते भारत ने कई फैसले लिए थे, जिसमें लाइन ऑफ कंट्रोल को पार नहीं करना, पाकिस्तानी सीमा के किसी हिस्से पर युद्ध को बड़ा रुप न देना शामिल था। जब पाकिस्तान ने घुसपैठ की तो भारत दुनिया को समझाने में सफल रहा कि यह हमला पाकिस्तान की तरफ से हुआ है और यह शिमला समझौते का उल्लंघन भी है। दुनिया को भी यह बात समझ में आई और पाक को बैकफुट पर आना पड़ा। दुनियाभर में उसकी किरकिरी हुई औऱ साख भी गिरी।

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