शिक्षक के तौर पर हर महीने 120 रु. थी मुलायम सिंह की सैलरी, बच्चों को भाता था उनके पढ़ाने का अंदाज

मुलायम सिंह यादव की उम्र 82 साल थी। 22 नवंबर, 1939 को यूपी के इटावा जिले के सैफई में उनका जन्म हुआ था। करहल के जैन इंटर कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की थी। मुलायम सिंह यादव बैचलर ऑफ टीचिंग और बीए के साथ पॉलिटिकल साइंस में मास्टर थे

करियर डेस्क : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब इस दुनिया में नहीं हैं। आज सुबह ही गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। एक अक्टूबर से वे भर्ती थे। मुलायम सिंह यादव की गिनती राजनीतिक के धुरंधरों में होती है। बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि राजनीति में आने से पहले वे एक शिक्षक के तौर पर काम करते थे। वे बच्चों के फेवरेट थे और उनके पढ़ाने का अंदाज बच्चों को खूब भाता था। आइए जानते हैं एक शिक्षक के तौर पर मुलायम सिंह यादव का सफर..

8 बार विधायक, 7 बार सांसद थे मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर, 1939 को इटावा के सैफई में हुआ था। 55 साल से ज्यादा समय तक उन्होंने राजनीति में कई रिकॉर्ड स्थापित किए। राजनीति में आने से पहले वे शिक्षक हुआ करते थे। साल 1967 की बात है जब मुलायम पहली बार यूपी के जसवंत नगर से विधायक बने। इसके बाद वे आठ बार विधायक और सात बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए। मुलायम तीन बार यूपी के सीएम रहे और 1996 में एक बार यूपीए सरकार में देश के रक्षा मंत्री का पद संभाला।

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बतौर शिक्षक मुलायम सिंह का करियर
मुलायम सिंह यादव ने बीटी (बैचलर ऑफ टीचिंग) करने के बाद इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक पढ़ाने का काम शुरू किया। करहल के जैन इंटर कॉलेज से  1963 में उन्होंने अपने एजुकेशन करियर की शुरुआत की। हाईस्कूल को हिंदी और इंटर के छात्रों को सामाजिक विज्ञान पढ़ाते थे। जानकारी के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव जब शिक्षक बने थे तब उनकी महीने की सैलरी मात्र 120 रुपए थी। 

बच्चों को भाता था पढ़ाने का अंदाज
मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारों के मुताबिक, मुलायम सिंह जब क्लास में पढ़ाते, तब पूरी क्लास खचाखच भरी रहती थी। बच्चों को उनके पढ़ाने का अंदाज काफी पसंद आता था। मुलायम कभी भी बच्चों को रटने की बजाय अलग तरीके से पढ़ाने पर जोर देते थे। वे अपनी शैली से किसी भी टॉपिक को बड़ा ही रोचक बना देते थे। मुलायम सिंह यादव बच्चों की पिटाई कभी नहीं करते थे। वे इसके खिलाफ रहते थे। उनका मानना था कि इस तरह व्यवहार से बच्चों का कौशल और मानसिक विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाता है।

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