34 साल बाद बदली शिक्षा व्यवस्था: नई शिक्षा नीति के तहत सरकार ने कर डाले स्कूल और उच्च शिक्षा में ये बड़े बदलाव

मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है इसके तहत अगर पढ़ाई बीच में छूटी तो 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। स्टूडेंट्स के हित में यह एक बड़ा फैसला है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 29, 2020 1:48 PM IST / Updated: Jul 29 2020, 08:02 PM IST

करियर डेस्क. New National Education Policy Facts:  नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Union minister Prakash Javadekar) ने बताया कि कैबिनेट बैठक में आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए ये बेहद महत्वपूर्ण है। इसके बाद बाकायदा प्रेजेंटेशन देकर नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इस दौरान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे।

शिक्षा नीति में जो बदलाव किए गए हैं उनकी जानकारी दी गई है। नई शिक्षा नीति में स्कूल एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। हायर एजुकेशन के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर) उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य है।

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स्टूडेंट्स के हित में बड़ा फैसला

मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है। आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। स्टूडेंट्स के हित में यह एक बड़ा फैसला है।

स्कूली शिक्षा में बदलाव

स्कूल शिक्षा की सचिव ने स्कूलों को लेकर किए गए बदलाव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 6-9 वर्ष के जो बच्चे आमतौर पर 1-3 क्लास में होते हैं उनके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा ताकि बच्चे बुनियादी साक्षरता और न्यूमरेसी को समझ सकें. स्कूली शिक्षा के लिए खास करिकुलर 5+3+3+4 लागू किया गया है। इसके तहत 3-6 साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा ताकि उसकी फाउंडेशन लिटरेसी और न्यमरेसी को बढ़ाया जा सके। 

इसके बाद मिडिल स्कूल याना 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा। फिजिक्स के साथ फैशन की पढ़ाई करने की भी इजाजत होगी। कक्षा 6 से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी। 

 

 

रिसर्च में किया गया बदलाव

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि जो रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे, लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद पीएचडी (PhD) कर सकते हैं। इसके लिए एमफिल (M.Phil) की जरूरत नहीं होगी।

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